राज्यसभा के सभापति एवं उपसभापति के कार्य शक्तियां एवं विशेषाधिकार | rajya sabha sabhapati in hindi
Rajya sabha sabhapati in hindi भारत के उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में राष्ट्रपति के कार्यभार एवं दायित्वों का निर्वहन करते हैं। साथ ही राज्यसभा के पदेन सभापति होने के नाते वे राज्यसभा की कार्यवाहीयों के सुचारू संचालन में दोहरी भूमिका भी अदा करते हैं।
पॉलिटी के इस आर्टिकल में हम राज्यसभा के सभापति एवं उपसभापति के कार्य शक्तियों एवं विशेष अधिकारों का अध्ययन करेंगे। साथ ही राज्यसभा सभापति का वेतन भत्ता कार्यकाल संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का भी विवेचना करेंगे।
राज्यसभा चेयरमैन और वाइस चेयरमैन इन हिंदी के इस आर्टिकल में सभापति के अलावे उपसभापति के कार्य शक्तियां एवं अधिकार का भी विस्तृत वर्णन है। एक-एक करके हम राज्यसभा क्या है, राज्य सभापति का कार्य, राज्यसभा और सभापति के कार्य को आसान भाषा में समझने की कोशिश करेंगे।
• राज्यसभा क्या है
Rajya sabha kya hai in hindi
राज्यसभा संसद का उच्च सदन होता है जहां देश के विभिन्न राज्यों से विधान सभा के सदस्यों के द्वारा चुने हुए सदस्यों का 6 वर्ष के लिए निर्वाचन होता है।
लोकसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की तरह ही राज्यसभा में भी एक सभापति और एक उपसभापति पद संविधान में उपबंधित किया गया है।
राज्यसभा लोकसभा की तुलना में एक शक्तिहीन सदन है फिर भी राज्य सभा को संविधान में कुछ विशेष प्रावधान किया गया है जो लोकसभा की निरंकुशता को नियंत्रित करते हैं। राज्य सभा में विभिन्न राज्यों से चुने गए सदस्यों के अलावा राष्ट्रपति के द्वारा मनोनीत 12 सदस्य और 2 एंग्लो भारतीय भी शामिल होते हैं।
राज्य सभा : एक नजर में
राज्य सभा क्या है – राज्य सभा (Council of State)
• राज्यसभा सभापति की भूमिका
rajya sabha sabhapati in hindi
उपराष्ट्रपति राज्य सभापति के रूप में संसद के उच्च सदन की अध्यक्षता एवं संचालन करते हैं। संविधान में वर्णित अनुच्छेद 89(2) के तहत यह एक संवैधानिक पद है। राज्यसभा सभापति न सिर्फ राज्यसभा की कार्यवाहीयों के संचालन में प्रमुख भूमिका अदा करते हैं अपितु राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में या राष्ट्रपति के पद रिक्त होने की स्थिति में वे राष्ट्रपति का कार्यभार एवं दायित्व का निर्वहन भी करते हैं।
ज्ञातव्य है कि जब उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति का पद संभालते हैं तब वे राज्यसभा के सभापति नहीं होते हैं। ऐसे समय में जब सभापति, राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर रहे हो या उनके काम की जिम्मेदारी निभा रहे हों तब उस पद पर यानी कि सभापति के कर्तव्य का पालन उपसभापति करते हैं। (अनुच्छेद – 91)
• राज्यसभा सभापति की योग्यता
Rajya sabha sabhapati ki yogyata
राज्यसभा सभापति की योग्यता वही है जो उपराष्ट्रपति होने की योग्यता निर्धारित की गई है। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव होता है सभापति का नहीं। क्योंकि संविधान में यह प्रत्यक्ष वर्णित है कि भारत का उपराष्ट्रपति स्वत: राज्यसभा का सभापति होता है।
चूंकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा का सभापति होते हैं इसलिए सभापति के तौर पर उपराष्ट्रपति चुने जाने के लिए निम्नलिखित चार मापदंडों का होना अनिवार्य है जो निम्नलिखित है :-
क). वह भारत का नागरिक हो,
ख). उसकी उम्र 30 वर्ष से कम ना हो,
ग). वह मानसिक रूप से विकृत और दिवालिया न हो,
घ). वह कोई लाभ के पद पर ना हो।
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• राज्य सभा सभापति का कार्यकाल
Rajya sabha sabhapati ka karykal
राज्यसभा सभापति का कार्यकाल (Tenure) 5 वर्ष का होता है। गौरतलब है कि वह उपराष्ट्रपति के रूप में 5 वर्षों के लिए ही निर्वाचित होता है। इसलिए राज्यसभा सभापति का कार्यकाल 5 वर्ष के लिए ही निर्धारित होता है।
गौरतलब है कि लोकसभा अध्यक्ष,उपाध्यक्ष एवं राज्यसभा सभापति तीनों का कार्यकाल 5 वर्ष के लिए निर्धारित होता है, जबकि राज्यसभा उपसभापति का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।
राज्यसभा सभापति का चुनाव कौन करता है यह घुमावदार प्रश्न है जिस का सरल सा उत्तर है जो उपराष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते हैं।क्योंकि हम यह पहले ही समझ चुके हैं कि उपराष्ट्रपति निर्वाचित होते ही स्वत: राज्यसभा का सभापति हो जाता है।
गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा एवं राज्यसभा के सभी सदस्यों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाता है। अतः हमें यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी कि राज्यसभा सभापति का चुनाव उपराष्ट्रपति के रूप में लोकसभा एवं राज्यसभा के सदस्यों के सामूहिक वोटिंग द्वारा संपन्न किया जाता है।
• राज्यसभा सभापति के कार्य एवं शक्तियां
Rajya sabha sabhapati ke karya shaktiya
राज्यसभा सभापति के कार्य शक्ति एवं अधिकार लगभग लोकसभा अध्यक्ष के समान संविधान में अनुबंधित है। जो अधिकार एवं दायित्व लोकसभा में लोकसभा अध्यक्ष का होता है वही जिम्मेदारी और कर्तव्य का निर्वहन राज्यसभा में सभापति को करना होता है। केवल दो अधिकारों को छोड़ दें तो बाकी चीजों में लोकसभा अध्यक्ष एवं राज सभापति दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू दिखाई पड़ते हैं।
क). राज्यसभा सभापति का प्राथमिक कार्य न सिर्फ उच्च सदन की कार्यवाही एवं संचालन का निर्वहन करना है अपितु सदन में शांति व्यवस्था एवं सदन की बैठकों में अवरोध उत्पन्न करने वाले राज्य सभा सांसदों को निष्कासन के साथ-साथ उनका निलंबन करने का भी अधिकार प्राप्त है।
ख). उच्च सदन में कुव्यवस्था उत्पन्न होने पर वह सदन की कार्यवाही को कुछ देर या कुछ दिन के लिए स्थगित भी कर सकता है।
ग). राज्यसभा सभापति का यह दायित्व है कि वह सदन में सत्रों की सुगमता बनाए रखने एवं सदन के अनुशासन तथा मर्यादा को बनाए रखने में अपने भूमिका का निर्वहन करे।
घ). राज्यसभा सभापति को लोकसभा अध्यक्ष की तुलना में निम्नलिखित दो अधिकार प्राप्त नहीं है
I). उसे धन विधेयक के संबंध में निर्णय करने का कोई अधिकार नहीं है।
II). उसे संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता करने का कोई अधिकार नहीं है।
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लोकसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष
लोकसभा अध्यक्ष के कार्य एवं शक्तियां
• राज्यसभा सभापति का त्यागपत्र
Rajya sabha sabhapati apna tyagpatra kisko deta hai
राज्यसभा सभापति यानी उपराष्ट्रपति को उसके पद से पदच्युत करने का प्रस्ताव सिर्फ राज्यसभा में ही प्रस्तावित किया जा सकता है। गौरतलब है कि राज सभा सभापति अपना त्यागपत्र उपसभापति को ना देकर राष्ट्रपति को देता है, क्योंकि वह सदन का सदस्य नहीं होता है।
• राज्य सभा सभापति का वेतन एवं भत्ता
rajya sabha sabhapati salary
जब सभापति राष्ट्रपति की अनुपस्थिति या राष्ट्रपति की पद रिक्त होने पर राष्ट्रपति का पद ग्रहण करते हैं तो वे राज्यसभा का सभापति नहीं होते है। गौरतलब है कि उपराष्ट्रपति अपना वेतन राज्यसभा सभापति के रूप में पाते हैं उपराष्ट्रपति के रूप में नहीं वर्तमान में राज्य सभा सभापति का वेतन 4 लाख रुपए प्रतिमाह है।
राज्यसभा सभापति का वेतन एवं भत्ता संसद द्वारा तय किया जाता है जो कि संसद की संचित निधि पर भारित होता है।
• राज्य सभा सभापति से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
rajya sabha sabhapati gk in hindi
- राज सभा सभापति सदन का सदस्य नहीं होता है।
- वर्तमान में भारत के राज्यसभा सभापति का नाम वेंकैया नायडू है।
- भारत के प्रथम राज्यसभा सभापति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे।
• राष्ट्रपति : एक नजर में
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• राज्यसभा उपसभापति की भूमिका
Rajya sabha upsabhapati in hindi
राज्यसभा उपसभापति का प्राथमिक कार्य सदन का संचालन एवं व्यवस्था बनाए रखना है। संसदीय व्यवस्था में उपसभापति का पद बेहद महत्वपूर्ण एवं अहम जिम्मेदारियों से भरा हुआ है। उपसभापति पद का दायित्व इसलिए महत्वपूर्ण नहीं है कि सभापति की अनुपस्थिति में सभापति के कार्यों एवं दायित्वों का संचालन करते हैं, अपितु सदन के सुचारू रूप से संचालन एवं सदन के निरपेक्ष अधिकारी के रूप में उनकी भूमिका अहम महत्वपूर्ण माना जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो उपसभापति उच्च सदन के पूर्व अधिकारी एवं पीठासीन अधिकारी होते हैं।
राज्यसभा उपसभापति का पद एक संवैधानिक पद है जो संविधान के अनुच्छेद 89(2) में उपबंधित है। अब हम एक-एक करके राज्यसभा उपसभापति के कार्य शक्तियों एवं दायित्वों का चर्चा करेंगे। जैसे कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल, उपसभापति का वेतन भत्ता, उपसभापति अपना त्यागपत्र किसको देते हैं, उपसभापति बनने की योग्यता क्या है जैसे महत्वपूर्ण बिंदुओं की भी व्याख्या करेंगे।
• उपसभापति की योग्यता
Upsabhapati ki yogyata kya hai
राज्यसभा के उपसभापति होने की योग्यता वही है जो राज्यसभा के सदस्य होने की योग्यता निर्धारित की गई है। गौरतलब है कि राज्यसभा अपने ही सदस्यों के बीच से एक उपसभापति का निर्वाचन करती है। उपसभापति बनने की योग्यता निम्नलिखित है :-
क). वह भारत का नागरिक हो,
ख). उसकी उम्र 30 वर्ष से कम ना हो,
ग). वह मानसिक रूप से विकृत और दिवालिया न हो,
घ). वह कोई लाभ के पद पर ना हो।
• उपसभापति का कार्यकाल
Upsabhapati ka karykal kitna hota hai
उपसभापति का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। गौरतलब है कि उपसभापति राज्यसभा का सदस्य होता है, और यह सर्वविदित है कि राज्यसभा सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष का ही निर्धारित किया गया है। अतः उपसभापति का कार्यकाल 6 वर्ष ही है और राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्यकाल समाप्त होने के बाद वह उपसभापति पद का अधिकारी नहीं होता है।
उपसभापति का चुनाव अनुच्छेद 89(2) में वर्णित है कि राज्यसभा यथाशीघ्र अपने किसी सदस्य को उपसभापति चुनेगी और जब जब उस सभापति का पद रिक्त होता है तब तब सदन किसी अन्य सदस्य को अपना उपसभापति चुनेगी।
गौरतलब है कि उपसभापति के चुनाव के समय पीठासीन अधिकारी की भूमिका लोकसभा महासचिव तय करता है। उपसभापति का चुनाव सिर्फ राज्यसभा के सदस्यों द्वारा ही किया जाता है, लोकसभा के सदस्यों के द्वारा नहीं। राज्यसभा उपसभापति का निर्वाचन सदन में भाग लिए सदस्यों के साधारण बहुमत से संपन्न होता है।ज्ञातव्य है कि उपसभापति के चुनाव में चुनाव आयोग की कोई भूमिका नहीं होती।
• उपसभापति के कार्य एवं शक्तियां
Upsabhapati ke karya shaktiya
उपसभापति के कार्य एवं शक्तियां निम्नलिखित हैं
क). उपसभापति का कार्य न सिर्फ सदन का संचालन अथवा व्यवस्था को बनाए रखना है बल्कि सभापति की अनुपस्थिति में संपति के कर्तव्य एवं दायित्व का निर्वहन भी करना है।
ख). ज्ञातव्य है कि उपसभापति सभापति के अधीन नहीं होता, वह सीधे एवं प्रत्यक्ष रूप से राज्यसभा के अधीन होता है।
ग). उपसभापति को लोकसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता करने का अधिकार प्राप्त है।
घ). उपसभापति को 6 सदस्यों का उपसभापति का एक अतिरिक्त पैनल गठन करने का भी अधिकार है, जो उपसभापति की उपस्थिति में कार्यवाहक उपसभापति की भूमिका अदा करते हैं।
च). उपसभापति कार्य मंत्रणा समिति एवं नियम समिति का सदस्य भी होते हैं। उपसभापति को यह अधिकार प्राप्त है कि जब भी उन्हें इसी समिति का सदस्य बनाया जाता है तो वे स्वत: उन समितियों का अध्यक्ष बन जाता है।
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• उपसभापति का त्यागपत्र
Upsabhapati apna tyagpatra kisko deta hai
उपसभापति अपना त्यागपत्र सभापति को देता है। उच्च सदन में तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प के द्वारा उपसभापति को हटाया जा सकता है किंतु इसके लिए भी उसे 14 दिन पूर्व सूचित किया जाना अनिवार्य है।
उपसभापति अपना पद निम्नलिखित तीन प्रकारों से रिक्त कर सकता है :-
क). सभापति को संबोधित हस्ताक्षर सहित लिखित त्याग पत्र के जरिए,
ख). राज्यसभा की 6 वर्ष की सदस्यता समाप्त होने पर,
ग). सदन में तत्कालीन सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प के जरिए।
ज्ञातव्य है कि यदि उच्च सदन में सभापति एवं उपसभापति दोनों का पद रिक्त हो तो राष्ट्रपति राज्यसभा के किसी सदस्य को सभापति नियुक्त कर सकता है।
• उपसभापति से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
Upsabhapati facts in hindi
- उपसभापति का प्रथम चुनाव वर्ष 1952 में संपन्न हुआ था।
- पहली महिला उपसभापति का नाम श्रीमती वायलेट अल्वा था।
- ज्यादा बार निर्वाचित होने वाली उपसभापति का नाम नजमा हेपतुल्ला है जिन्हें चार बार उपसभापति बनने का गौरव प्राप्त है।
- प्रथम उपसभापति का नाम एस. वी. कृष्णमूर्ति है।
- वर्तमान में भारत के राज्यसभा उपसभापति का नाम हरिवंश नारायण है।
- राज्य सभा का गठन 3 अप्रेल, 1952 को हुआ था।
• राज्यसभा महासचिव
Rajya sabha mahasachiv in hindi
राज्य सभा महासचिव उच्च सदन का तीसरा महत्वपूर्ण प्राधिकारी होता है। वह लोकसभा महासचिव के समान संसद का स्थाई एवं निरपेक्ष पदाधिकारी होता है। राज्य सभा महासचिव न सिर्फ संसदीय क्रियाकलापों का कर्तव्य वहन करता है अपितु उच्च सदन, राज्यसभा सदस्य तथा सभापति के मध्य विचार विनिमय के रूप में एक सेतु का भी कार्य करता है।
• विभिन्न परीक्षाओं में सभापति से पूछे गए प्रश्न Gk
उपसभापति से पूछे गए प्रश्न Gk Mcq
० राज्यसभा के प्रथम सभापति कौन थे
rajya sabha ke pratham sabhapati
राज्य सभा के प्रथम सभापति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे।
० राज्यसभा के प्रथम उपसभापति कौन थे
rajya sabha ke pratham up sabhapati
राज्यसभा के प्रथम उपसभापति एस. वी.कृष्णमूर्ति थे।
० राज्यसभा में कितने सदस्य होते हैं
Rajya sabha me kitne sadasy hote hai
राज्यसभा में अधिकतम सदस्यों की संख्या 250 निर्धारित की गई है।
० राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल क्या है
Rajya sabhha ke sadsyo ka karykal
राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है।
० सभापति किसे कहते हैं
Sabhapati kise kahte hai
उपराष्ट्रपति को राज सभा का सभापति कहा जाता है।
० राज्यसभा सभापति कौन हैं 2022
rajya sabha sabhapati kaun hai 2022
rajya sabha sabhapati name
rajya sabha sabhapati 2022
वर्तमान में राज्यसभा सभापति वेंकैया नायडू हैं।
० राज्यसभा उपसभापति कौन हैं 2022
rajya sabha upsabhapati kaun hai 2022
वर्तमान में राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण हैं।
० राज्यसभा सभापति का वेतन कितना है
rajya sabha sabhapati salary
राज्यसभा सभापति का वेतन 4 लाख प्रतिमाह है। उपराष्ट्रपति अपना वेतन राज्यसभा सभापति के रूप में लेते हैं।
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rajya sabha sabhapati in hindi के इस आर्टिकल में आपने राज्यसभा सभापति, सभापति का वेतन, चेयरमैन ऑफ़ राज्य सभा, राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल क्या है, राज्यसभा के सभापति की अर्हताएं, सभापति को पद से हटाना, राज्य सभा सदस्य का चुनाव कैसे होता है कौन कराता हैं, Rajya Sabha Election in hindi, उप-सभापति का चुनाव, राज्य सभा के विभिन्न पदाधिकारी जैसे तत्वों को पढ़ा। कुल मिलाकर Rajya Sabha – wikipedia को इस आर्टिकल में कवर किया गया है। आर्टिकल कैसा लगा अपना सुझाव कमेंट बॉक्स में जरूर दें और अच्छा लगा तो आगे जरुर शेयर करें।
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बहुत अच्छी जानकारी। तैयारी करने वाले छात्रों के लिए उम्दा मंच।