दांडी मार्च Dandi march in hindi
दांडी मार्च, जिसे नमक मार्च (Salt March), नमक सत्याग्रह तथा दांडी सत्याग्रह (Dandi Satyagraha) के नाम से भी जाना जाता है जो कि गांधीजी के नेतृत्व में शुरू किया गया एक अहिंसक सविनय अवज्ञा आंदोलन था जिसका मूल उद्देश्य ब्रिटिश सरकार के काले अवैध नमक कानून को तोड़ना था।
दांडी मार्च भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का वह अध्याय था जिसने आधुनिक भारत की दशा व दिशा बदल ही दी। Dandi March ने सविनय अवज्ञा आंदोलन की नींव रखी फलत: पुरे देश में पूर्ण स्वराज्य की माँग उठने लगी। दांडी मार्च एक ऐसा जन आंदोलन था जिसने अंग्रेजों और ब्रिटिश हुक्मरानों की मंशा पर पानी फेर दिया।
दांडी मार्च के इस आर्टिकल में हम नमक सत्याग्रह, नमक आंदोलन तथा सविनय अवज्ञा आंदोलन को विस्तार से समझेंगे। साथ ही दांडी मार्च से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्नों जैसे कि नमक आंदोलन कब हुआ था, Namak andolan in hindi, dandi march in hindi, दांडी मार्च का उद्देश्य एवं नमक आंदोलन से संबंधित रोचक तथ्य भी जानेंगे।
1) दांडी मार्च की पृष्ठभूमि
Dandi march in hindi
दांडी मार्च की शुरुवात 12 मार्च 1930 को गुजरात के अहमदाबाद शहर के साबरमती आश्रम से हुआ था। किंतु यह सहसा अचानक से उठा गुबार न होकर कई वर्षों से चली आ रही भारतीयों के मन की बेबसी और असंतोष की भावना थी जिसने दांडी मार्च में उत्प्रेरक का कार्य किया।
दांडी मार्च की पृष्ठभूमि में साइमन कमिशन के प्रति भारतीय जनसमुह का आक्रोश, नेहर रिपोर्ट की माँगे, कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन तथा गाँधी जी द्वारा प्रस्तुत 11 सूत्री माँगें थी जिसे वायसराय लार्ड इरविन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैमदो मैकडोनाल्ड ने गाँधी जी के पत्र का कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया, परिणामस्वरूप गांधी जी विवश होकर नमक सत्याग्रह अथवा Dandi March की शुरूवात की जिसने आगे सविनय अवज्ञा आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार की।
2) दांडी मार्च का उद्देश्य क्या था
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दांडी मार्च महात्मा गाँधी के नेतृत्व में अंग्रेजों के विरुद्ध शुरू किया गया एक ऐसा जमीनी आंदोलन था जिसका मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों द्वारा अधिरोपित नमक कर (Salt TAX) को जड़ से उखाड़ फेंकना एवं नमक पर अंग्रेजों द्वारा बनाए गए एकछत्र अधिकार को भी समाप्त करना था।
दांडी मार्च का उद्देश्य न सिर्फ नमक के उत्पादन, भण्डारण और निर्धारण में अंग्रेजों की स्वायत्तता का नाश करना था बल्की इसे भारतीयों के लिए जन सुलभ भी करता था। ताकि नमक जैसी मुलभुत आवश्यकता वाली खाद्य वस्तु पर भारतीयों को अन्य कर न देना पड़े।
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3). नमक आंदोलन कब हुआ
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नमक आंदोलन अथवा दांडी मार्च का कारवां12 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम शुरू हुआ और 5 अप्रैल 1930 को दांडी पहुँचा। 6 अप्रैल 1930 को गाँधी जी द्वारा अवैध रूप से एक मुठ्ठी नमक का निर्माण करके नमक आंदोलन के लक्ष्य को पुरा किया गया। 2 अगस्त 1930 को गाँधी जी के द्वारा लॉर्ड इरविन को दिये गये अंतिम अल्टीमेटम के प्रति कोई सार्थक जवाब का ना मिलना नमक आंदोलन का तात्कालिक मुख्य कारण था।
4). नमक आंदोलन कहाँ शुरू हुआ
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नमक आंदोलन की शुरुवात गुजरात के अहमदाबाद शहर के निकट साबरमती आश्रम से हुआ था। साबरमती आश्रम से ही गाँधी जी और उनके 78 अनुयायियों ने दांडी मार्च को प्रस्थान किया। दांडी मार्च की कुल दूरी 349 Km थी जिसे पुरा करने में कुल 24 दिनों का समय लगा।
5) नमक सत्याग्रह के प्रमुख क्षेत्र
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दांडी मार्च के साथ ही शुरु हुआ नमक आंदोलन निम्न जगहों पर आग की तरह फैल गया –
क) उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत (NWFP) खान अब्दुल गफार खाँ के नेतृत्व में शुरू हुआ ‘लाल कर्ती आंदोलन’ इस क्षेत्र का प्रमुख नमक सत्याग्रह का केन्द्र था। इस आन्दोलन में खुदाई खिदमतगार ने जमीनी स्तर पर सक्रिय रूप से कार्य किया।
ख) पूर्वोत्तर क्षेत्र – मणिपुर में यदुनाग के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आंदोलन के रूप में पूर्ण असहयोग और कर बंदी आंदोलन को चलाया गया। इस आंदोलन को जियालरंग आंदोलन भी कहा जाता है।
ग) बम्बई- बम्बई में नमक सत्याग्रह का मुख्य केन्द्र
“धरासना” था जहाँ बडाला के नमक कारखाने पर सत्याग्रहियों ने धावा बोल कर नमक को लूट ले गए। नमक सत्याग्रह के इस केन्द्र का नेतृत्व मुख्य रूप से सरोजनी नायडू, इमाम साहब और गांधीजी के पुत्र मणिलाल कर रहे थे।
घ) दक्षिण भारत- दक्षिण भारत में नमक आंदोलन सफल बनाने में राज गोपालाचारी की प्रमुख भूमिका रही थी। श्री राज गोपालाचारी ने दांडी मार्च की ही भाँति त्रिचनापल्ली से बदोरुयम तक की पदयात्रा की। केरल के वायकूम सत्याग्रह में के केलप्पन और टी. के. माधवन ने कालीकट से पयान्नूर तक की पदयात्रा कर के दक्षिण भारत में नमक कानून का पुरजोर विरोध किया।
ङ) बंगाल में मिदनापुर, उड़ीसा में बालासोर, पुरी तथा कटक नमक सत्याग्रह के मुख्य केन्द्र थे। असम के सिलहट से बंगाल के नोवाखाली समुद्र तट की पदयात्रा भी नमक सत्याग्रह के इतिहास का एक प्रमुख हिस्सा था।
6). दांडी मार्च का प्रभाव
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दांडी मार्च से शुरु हुआ यह सफर धीरे धीरे हजारों की संख्या में पुरे भारत में फैल गया। तक़रीबन 90000 सत्याग्रहियों को जेल में बंद कर दिया गया। 5 मई 1930 को गाँधी जी को भी कैद कर लिया गया फलत: पुरे देश में आक्रोश की एक भावना उपज उठी। नतीजतन पूरे देश में पूर्ण स्वराज्य की माँग उठने लगी और विदेशी सामानों के बहिष्कार के साथ-साथ पूर्ण शराबबंदी जैसे आंदोलन भी मूर्त रूप लेने लगे।
दांडी सत्याग्रह सविनय अवज्ञा आंदोलन का बिगुल बजाया फलस्वरूप हर वर्ग के लोग, महिलाएं एवं नौजवान इस आंदोलन से जुड़ने लगे। कर अदा न करने का आंदोलन चलाया गया साथ ही चौकीदारी कर, भू राजस्व जैसे करो की नअदायगी का सिलसिला शुरू हुआ।
ब्रिटिश सरकार ने समय रहते इस जन तुफान को शान्त करने के लिए गांधी जी को जेल से से रिहा किया और गोलमेज सम्मेलन के बहाने सविनय अवज्ञा आंदोलन की आग को शान्त करने की कुटनीतिक चाल चली। शुरू में जोश के साथ शुरू हुआ यह सविनय अवज्ञा आंदोलन एकता के अभाव और सांप्रदायिक मतभेदों तथा पृथक निर्वाचन जैसे मुद्दों के बीच अंततः अपने लक्ष्य से विचलित हो गया। फिर भी Dandi March से शुरू हुआ यह सविनय अवज्ञा आंदोलन बाद में आने वाले अन्य आंदोलनों को एक नया मार्ग प्रशस्त किया।
7). दांडी मार्च सारांश
Dandi march short note
दांडी मार्च महात्मा गाँधी और उनके प्रिय 78 अनुयायियों द्वारा शुरू किया गया पदयात्रा था जिसका मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश कानून द्वारा अधिरोपित नमक कर को निरस्त करना तथा नमक को भारतीयों के लिए जन सुलभ करना था।
12 मार्च 1930 को गुजरात के साबरमती आश्रम से शुरू किया गया यह Dandi March 5 अप्रैल 1930 को गुजरात के नवसारी जिले में स्थित दांडी नामक स्थान पर पहुँच कर 6 अप्रैल 1930 की सुबह को अवैध रूप से एक मुठ्ठि नमक बनाकर नमक कानून तोड़ने के साथ समाप्त हुआ। दांडी मार्च को फतेह करने में तकरीबन 349 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ी जिसे पूरा करने में कुल 24 दिन लगे।
दांडी मार्च की तुलना सुभाष चंद्र बोस ने नेपोलियन के पेरिस मार्च और मुसोलिनी के रोम मार्च से किया था। दांडी से उपजा हुआ यह सविनय अवज्ञा आन्दोलन क्रमश समूचे भारत में फैल गया जिसमें पश्चिमोत्तर प्रांत में खान अब्दुल गफ्फार खाँ के नेतृत्व में शुरू हुआ लाल कुर्ती आंदोलन, दक्षिण भारत में वायकम सत्याग्रह (केरल), मणिपुर, बम्बई के धरसाना, बंगाल के मिदनापुर, असम के सिलहट, उड़ीसा में बालासोर, पुरी और कटक नमक सत्याग्रह के प्रमुख केन्द्र थे।
यह मार्च ब्रिटिश भारत के मार्ग में प्रमुख अवरोधक साबित हुआ। दांडी मार्च से शुरू हुआ विशाल सविनय अवज्ञा आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को न सिर्फ आर्थिक क्षति पहुंचाई बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को स्वतंत्रता की दिशा में एक नई उर्जा प्रदान की।
8). Dandi March Important facts one liner
•दांडी यात्रा की शुरूवात – 12 मार्च 1930
•दांडी मार्च का समापन – 5 अप्रैल 1930
•दांडी मार्च कहाँ शुरू हुआ – साबरमती आश्रम (गुजरात)
•दांडी जगह कहाँ है – नौसारी जिले में (गुजरात)
•नमक आन्दोलन में कितने लोग थे – गाँधी जी और 78 अनुयायी
•दांडी मार्च कितने किलोमिटर की थी- 349 KM
•दांडी मार्च कितने दिनों तक चला – 24 दिन तक
•दांडी मार्च से कौन से आंदोलन की शुरूवात हुई- सविनय अवज्ञा आंदोलन
•नमक आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य – अवैध नमक कानून को लड़ना
•राष्ट्रीय नमक सत्याग्रह स्मारक – नौसारी जिला में
•गाँधी जी की गिरफ्तारी – 5 मई 1930
•दांडी मार्च के अन्य नाम – नमक सत्याग्रह, नमक आंदोलन, नमक मार्च, दांडी यात्रा
9). दांडी मार्च से पूछे जाने वाले प्रश्न
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- दांडी यात्रा के समय भारत का वायसराय कौन था?
दांडी यात्रा के समय भारत का वायसराय लार्ड इरविन था। - दांडी यात्रा कहाँ से शुरू हुई?
दांडी यात्रा की शुरुवात अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से हुई थी जो कि नमक आंदोलन का एक मुख्य केंद्र था। - दांडी यात्रा की दूरी कितनी थी?
दांडी यात्रा की दूरी 349 किलोमीटर थी। - बिहार में नमक सत्याग्रह कब हुआ था?
बिहार में नमक सत्याग्रह सर्वप्रथम 16 अप्रैल 1930 को चंपारण और सारण में शुरू हुआ था। - पटना में नमक सत्याग्रह कब हुआ था?
पटना में नमक सत्याग्रह 6 नवंबर 1932 को हुआ था। - नमक कानून कब तोड़ा था?
नमक कानून 6 अप्रैल 1930 को तोड़ा गया। - Dandi March कितने दिन चला?
दांडी मार्च 24 दिनों तक चला। - कौन सा आंदोलन दांडी मार्च से शुरू हुआ?
‘सविनय अवज्ञा आंदोलन’ की शुरुवात दांडी मार्च से शुरू हुआ। - दांडी यात्रा में कितने लोग शामिल थे?
दांडी यात्रा में गाँधी जी समेत कुल 78 लोग शामिल थे। - किस व्यक्ति ने दांडी यात्रा की तुलना नेपोलियन के ‘पेरिस मार्च’ और मुसोलिनी के ‘रोम मार्च’ से की है ?
- सुभाषचंद्र बोस ने दांडी यात्रा की तुलना नेपोलियन के ‘पेरिस मार्च’ और मुसोलिनी के ‘रोम मार्च’ से की है।
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