वर्णनात्मक लेखन से आशय
वर्णनात्मक लेखन से आशय किसी घटना , किसी विषय वस्तु , किसी दृश्य या किसी चित्र का शब्दों, वर्णों और वाक्यों के माध्यम से लिखित रूप से वर्णन करना है .
आसान शब्दों में कहें तो वर्णनात्मक लेखन, लेखन की वह विधि है जिसमें लेखक द्वारा किसी भी विषय वस्तु या किसी भी घटना या चित्र का शब्दों द्वारा लिखित रूप में विस्तार से वर्णन करना है .
किसी लेखक द्वारा किसी घटना को शब्दों के माध्यम से वर्णन करना ही वर्णनात्मक लेखन है . वर्णनात्मक लेखन एक कला है तथा किसी विषय वस्तु का सरल और रोचक वर्णन करना एक कौशल है |
इस लेखन में शब्दों और वाक्यों को पढ़कर एक पाठक उस घटना को समझने में सहजता होनी चाहिए , इसलिए लेखक किसी विषय वस्तु का वर्णन करते हुए उसके शब्दों और वाक्यों की वर्णन शैली को सरल , सहज और रोचक बनाता है | इसके लिए लेखक वाक्यों में क्रमबद्धता एवं सहजता का समावेश करता है |
वर्णनात्मक लेखन में किसी विषय वस्तु , घटना या दृश्य की आलोचना या उस पर कोई टीका- टिप्पणी नहीं किया जाता है, इसमें केवल किसी विषय वस्तु , दृश्य या चित्र का सटीक वर्णन प्रस्तुत किया जाता है |
किसी शिक्षक को अपने विद्यार्थियों में इस लेखन कौशल का विकास करने के लिये प्रारम्भ से ही आँखों देखे छोटे-छोटे दृश्य या चित्र-वर्णनों के माध्यम से अभ्यास कराना चाहिये। धीरे-धीरे उनमें क्रमशः कठिनाई का स्तर बढ़ाते हुये दीर्घ-कौशलों का विकास किया जाना चाहिए |
वर्णनात्मक लेखन की विशेषताएं
- वर्णनात्मक लेखन में एक लेखक अपने तर्क और बौद्धिक स्तर से इतर रहकर देखे गये किसी घटना या दृश्य का वर्णन करने के लिए कल्पना के आधार पर सरल और सटीक वर्णन करता है |
- इस लेखन में एक ही समय में कई व्यक्तियों या समूहों का एक साथ वर्णन किया जा सकता है |
- इस लेखन में लेखक शाब्दिक तथा संख्यात्मक दोनों तरह से वर्णन कर सकता है |
- इस लेखन में लेखक द्वारा किया गया किसी घटना , दृश्य या किसी विषय वस्तु का वर्णन किसी उद्देश्य की पूर्ति करता है |
- इस लेखन में गणितीय सूत्रों का प्रयोग भी किया जा सकता है |
- वर्णन-लेखन में लेखक का अपने किये गये वर्णन के प्रति तटस्थ रहना अनिवार्य है |
- वर्णन-लेखन लेखक के शुक्ष्म निरिक्षण पर निर्भर करता है |
- वर्णन-लेखन की शैली सरल , सहज , सुगम एवं सटीक होनी चाहिए |
वर्णनात्मक लेखन सम्बन्धी सावधानियां
- वर्णनात्मक लेखन सहज और सरल शब्दों का चुनाव करना चाहिए |
- कक्षा में वर्णन-लेखन अभ्यास से पूर्व शिक्षक को वर्णन की रूपरेखा पहले ही निश्चित कर लेनी चाहिए
- वर्णनात्मक लेखन की शैली में क्रमबद्धता होनी चाहिए |
- इस लेखन में शब्दों और वाक्यों का इस तरह से प्रयोग करना चाहिए जिससे पाठकों में विषय वस्तु के प्रति आकर्षण और रोचकता बनी रहे .
- लेखन शैली में कठिन शब्दों के चुनाव से बचना चाहिए |
- वर्णन-लेखन में विषय वस्तु की सजीवता को प्रस्तुत करने के लिए उपयुक्त शब्दावली का प्रयोग करना चाहिए.
- वर्णनात्मक-लेखन में ध्यान रखना चाहिए कि लेखन में विषय वस्तु के अनुकूल उचित उदाहरणों का भी समावेश हो |
- वर्णन-लेखन का अभ्यास करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि विद्यार्थियों को विषय वस्तु की सटीक कल्पना के प्रेरित किया जाये |
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