दोस्तों इस लेख में हमने बोद्ध धर्म के प्रमुख GK फैक्ट्स को 20 बिन्दुओं में समाहित किया है , जिसमें हम जानेंगे कि बौद्ध धर्म क्या है , बौद्ध धर्म की शिक्षा क्या है , बौद्ध धर्म के संस्थापक कौन हैं , बौद्धधर्म के नियम क्या है , बौद्ध धर्म का इतिहास क्या है , बौद्ध धर्म की पुस्तके कौन सी है तथा बौद्ध धर्म में महात्मा बुद्ध ने क्या उपदेश दिए हैं, साथ ही हमने इस लेख में बौद्ध धर्म की चारो बौद्ध संगीति का उल्लेख भी किया है ।
बौद्ध धर्म से सम्बंधित टॉप 20 GK FACTS निम्नलिखित हैं –
1). बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे, गौतम बुद्ध का जन्म कपिलवस्तु के निकट लुम्बिनी ( अब नेपाल में) में वर्ष 563 ई.पू. हुआ था। गौतम बुद्ध के पिता का नाम शुद्धोधन था जो शाक्यगण के प्रधान थे एवं माता का नाम माया देवी था जो कि कोलिय गणराज्य की कन्या थीं।
2). गौतम बुद्ध का विवाह 16 वर्ष की आयु में यशोधरा के साथ हुआ और जिनसे इन्हें राहुल नाम के पुत्र की प्राप्ति हुई। और इन्होंने 29 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग दिया जिसे बौद्ध ग्रंथों में इस घटना को ‘महाभिनिष्क्रमण’ के रूप में जाना जाता है।
3). गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था तथा इन्हें और भी कई नामों से जाना गया जिसमें तथागत, शाक्यमुनि प्रमुख हैं।
4). महात्मा गौतम बुद्ध का ‘महापरिनिर्वाण’ उत्तरप्रदेश के कुशीनगर में 80 वर्ष की अवस्था में 483 ई.पू. में हुआ। बौद्ध धर्म में शरीर त्याग देने की क्रिया को ही महापरिनिर्वाण के नाम से जाना जाता है।
5). गौतम बुद्ध के द्वारा बौद्ध धर्म में दीक्षित किया जाने वाला सबसे अंतिम व्यक्ति का नाम सुभद्द था जिसे उन्होंने कुशीनगर में अंतिम उपदेश दिया।
6). महात्मा बुद्ध के अनुसार निर्वाण का मतलब
मन की उस परम शांति अवस्था की प्राप्ति से था जहाँ मन क्रोध, तृष्णा तथा अन्य दुखदायी मनःस्थितियों से कोसों दूर हों। जहाँ वर्तमान और भविष्य में जन्म लेने वाली सारी इच्छाओं का समूल नाश हो जाए ।
7). आलार कालाम गौतम बुद्ध के एक गुरु थे जिनसे उन्होंने गृहत्याग के बाद उनके आश्रम में आकर उनसे दीक्षा ग्रहण की। हालांकि आलार कालाम के आश्रम में उन्होंने बहुत दिनों तक तप-तपस्या की परन्तु उन्हें कोई लाभ न मिला और वो अंसतुष्ट होकर चले गए। आलार कालाम सांख्य दर्शन के प्रसिद्ध आचार्य थे जिन्हें साधना शक्ति में महारत हासिल थी।
8). ज्ञान की प्राप्ति के बाद महात्मा बुद्ध ने अपना पहला उपदेश (प्रवचन) सारनाथ (ऋषिपत्तन) में दिया। जिसे बौद्ध धर्म में ‘धर्मचक्रपरिवर्तन’ के नाम से जाना जाता है।’धर्मचक्रपरिवर्तन’ सारनाथ में बुद्ध के द्वारा दिया गया प्रथम उपदेश था।
9). महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश पाली भाषा में दिए हैं , इन उपदेशों में उन्होंने सर्वाधिक उपदेश कोशल की राजधानी श्रावस्ती में दिए हैं. इसके अतिरिक्त उन्होंने अपने उपदेश वैशाली , कौशाम्बी और अन्य राज्यों में भी दिए हैं ।
10). महात्मा बुद्ध के प्रमुख अनुयायियों में बिम्बिसार , प्रसेनजित और उदयिन हैं . बौद्ध धर्म के अनुयायी दो भागो में विभाजित थे, 1.भिक्षु और 2. उपासक, सन्यासी बनकर जो लोग बौद्ध धर्म का प्रचार करते थे उन्हें भिक्षु कहा गया तथा गृहस्थ जीवन व्यतीत करते हुए जिन्होंने बौद्ध धर्म को अपनाया उन्हें उपासक कहा गया।
11). बौद्ध धर्म अपनाने की न्यूनतम आयु सीमा 15 वर्ष थी. बौद्धधर्म में प्रविष्ट होने को उपसम्पदा कहा जाता था। बुद्ध , धम्म और संघ बौद्ध धर्म के तीन रत्न हैं।
12). बौद्ध धर्म की पुस्तक ‘त्रिपिटक’ हमें इस धर्म के बारे में जानकारी देती है , इसमे विनयपिटक , सूत्रपिटक और अभिदम्भपिटक भी शामिल हैं . ये तीनो पीटक पाली भाषा में हैं।
13). बौद्ध धर्म अनीश्वरवादी हैं , इसमे आत्मा की परिकल्पना नहीं है लेकिन बौद्ध धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है । .
14). बौद्ध धर्म की शिक्षाएं हमें बताती हैं कि मनुष्य के अन्दर तृष्णा समाप्त हो जाति है तो इस अवस्था को बुद्ध ने निर्वाण कहा है . बुद्ध के अनुसार विश्व दुखो से भरा है .बुद्ध ने सांसारिक दुखो के बारे में चार सत्यो का उपदेश दिया है ।
1. दुःख 2. दुःख समुदाय 3. दुःख निरोध 4. दुःख निरोध गामिनी प्रतिपदा ।
15). महात्मा बुद्ध ने सांसारिक दुःखो से मुक्ति हेतु अष्टांगिक मार्ग बताया है. ये आठ मार्ग हैं
1. सम्यक दृष्टि 2. सम्यक संकल्प 3. सम्यक वाणी 4. सम्यक कर्मान्त 5. सम्यक आजीव 6. सम्यक व्यायाम
7. सम्यक स्मृति 8.सम्यक समाधि ।
16). भगवान बुद्ध ने निर्वाण के लिए दस शीलों को बताया है, जिनका पालन करने से मनुष्य के अन्दर से तृष्णा नष्ट हो जाती है और उसे निर्वाण प्राप्त हो जाता है।इसे बौद्ध धर्म के नियम के रूप में भी जाना जाता है। ये दस नियम हैं।
1. अहिंसा 2. सत्य 3. चोरी न करना (अस्तेय) 4. अपरिग्रह 5. मद्ध सेवन न करना 6. असमय भोजन न करना 7. सुखद बिस्तर पर न सोना 8. धन संचय न करना 9. स्त्रियों से दूर रहना 10. नृत्य गान से दूर रहना ।
गृहस्थों के लिए प्रथम पांच शील तथा भिक्षुओं के लिए सभी दसों शीलों को मानना अनिवार्य है।
17). बौद्ध सभाएँ
सभा | शासनकाल | स्थान | अध्यक्ष | समय |
प्रथम बौद्ध संगीति | अजातशत्रु | राजगृह | महाकश्यप | 483 B.C |
द्वितीय बौद्ध संगीति | कालाशोक | वैशाली | सबाकामी | 383 B.C |
तृतीय बौद्ध संगीति | अशोक | पाटलिपुत्र | मोग्ग्लिपुत्त तीस्स | 255 B.C. |
चतुर्थ बौद्ध संगीति | कनिष्क | कुण्डलवन | वसुमित्र / अश्वघोष | पहली इश्वी |
18). चतुर्थ बौद्ध संगीति के बाद बौद्धधर्म दो भागो में विभाजित हो गयी ।
1. हीनयान 2. महायान
जो व्यक्ति अपनी साधना से निर्वाण प्राप्त करते हैं उन्हें अर्हत कहा गया था . अर्हत पद हीनयान का आदर्श पद है, जबकि महायान सम्प्रदाय का आदर्श बोधिसत्व है इसमे दुसरे का कल्याण करते हुए निर्वाण को प्राप्त किया जाता है ।
19). इस धर्म का सबसे पवित्र त्यौहार बुद्ध पूर्णिमा है जिसे वैशाख मॉस की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसी दिन को भगवान बुद्ध का जन्म हुआ , उन्हें ज्ञान की प्राप्ति भी इसी दिन हुई तथा उनका महापरिनिर्वाण भी वैशाख की पूर्णिमा को ही हुआ , इसीलिए यह दिन बोद्ध धर्म में महत्व रखता है।
20). धार्मिक जुलुस का आरम्भ सबसे पहले बौद्धधर्म में ही किया गया था ,भारत में उपासना की जाने जाने सबसे पहली मूर्ति भी भगवान बुद्ध की मानी जाती है।
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