NON-COOPERATION MOVEMENT

असहयोग आंदोलन (1920-22) TOP 20 FACTS OF NON COOPERATION MOVEMENT

असहयोग आंदोलन (1920-22) TOP 20 FACTS

  1. सर्वप्रथम चितरंजन दास ने ही साल 1920 के नागपुर में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में इस आंदोलन के प्रस्ताव को प्रस्तावित किया था।
  2. कांग्रेस ने पहला असहयोग आंदोलन सन 1920 में शुरू किया था।
  3. गाँधी जी के नेतृत्व में किया जाने वाला पहला जन आंदोलन असहयोग आंदोलन को ही  माना जाता है जो वर्ष 1920-22 में चलाया गया था।
    नोट : चम्पारण सत्याग्रह गाँधीजी का प्रथम जन आंदोलन नहीं बल्कि प्रथम किसान सत्याग्रह था।
  4. असहयोग आंदोलन 1 अगस्त 1920 को प्रारम्भ हुआ और 5 फरवरी 1922 को हुए चौरी चौरा कांड के कारण इसे गाँधी जी ने वापस ले लिया।
  5. इस आंदोलन का लक्ष्य एक वर्ष के भीतर स्वराज्य की प्राप्ति थी।
  6. मोहम्मद अली जिन्ना ने असहयोग आंदोलन के समर्थन के बजाए इसका विरोध किया था।
  7. इसी आंदोलन ने पहली बार देश की जनता को इकठ्ठा किया था एवं देश के नागरिकों को स्वराज की आकांक्षा जगाई।
  8. असहयोग आंदोलन में ही गांधी जी ने ‘कैसर ए हिन्द’ ओर जमनालाल बजाज ने ‘राय बहादुर’ की उपाधि वापिस कर दी थी।
  9. चितरंजन दास, राजेन्द्र प्रसाद, जवाहर लाल नेहरू, मोतीलाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल जैसे सेनानियों ने असहयोग आंदोलन के दौरान अपनी वकालत छोड़ दी।
  10. राहुल सांकृत्यायन इस आंदोलन के समय छपरा ( बिहार) में सक्रिय थे तथा उन्हें 6 महीने की जेल हुई थी ।
  11. असहयोग आंदोलन समाप्त होने का कारण ‘चौरी चौरा’ कांड था जो 5 फरवरी 1922 को गोरखपुर के चौरी चौरा नामक स्थान पर हुआ था।
  12. डॉक्टर मुंजे वे व्यक्ति थे जिन्होंने गाँधीजी के विरुद्ध असहयोग आंदोलन वापस लेने के लिए दिल्ली के एक बैठक में निंदा प्रस्ताव प्रस्तुत किया था।
  13. असहयोग आंदोलन के समय विदेशी वस्त्रों को जलाए जाने पर रविन्द्र नाथ टैगोर ने इसका कड़ा विरोध किया एवं गांधीजी को लिखा कि यह अविवेकी या निष्ठुर बर्बादी है।
  14. इस आंदोलन के दौरान ही साल  1920 में काशी विद्यापीठ, जामिया मिलिया एवं गुजरात विद्यापीठ जैसे संस्थानों की स्थापना हुई।
  15. कुल मिलाकर यह आंदोलन अपने घोषित उद्देश्यों के आंशिक रूप से ही सफल रहा। फिर भी इसने कांग्रेस को नई दिशा प्रदान की एवं देश प्रेम की भावना को नया रक्त संचार दिया।
  16. जयप्रकाश नारायण ने इस आंदोलन के दौरान ही पटना कॉलेज छोड़ा जबकि उनकी परीक्षा के सिर्फ 20 दिन बचे थे।
  17. यह आंदोलन पश्चिमी भारत उत्तरी भारत एवं बंगाल में काफ़ी सफल रहा। स्वतंत्रता संग्राम में फिर ऐसा हिन्दू मुस्लिम एकता का मिसाल कहीं देखने को नहीं मिला।
  18. इस आंदोलन का मूलतः उद्देश्य सरकारी उपाधि, स्कुल , न्यायालयों, एवं विदेशी समानों का पूर्णतः बहिष्कार करना था।
  19. 12 फरवरी 1922 को बारदोली में हुई कांग्रेस की बैठक में गाँधीजी ने आंदोलन को स्थगित करने का  निर्णय लिया जिसका मूल कारण चौरी चौरा कांड था।
  20. इस आंदोलन की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसने आम जनता को आधुनिक राजनीत से परिचित कराया एवं उनमें आजादी की जिजीविषा जगाई।

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