पंचायती राज
1. पंचायती राज व्यवस्था को जड़ से मजबूत और आधार प्रदान करने के लिए वर्ष 1956 में बलवंत राय मेहता समिति का गठन किया गया।
2. बलवंत राय मेहता समिति ने अपना रिपोर्ट वर्ष 1957 में पेश की जिसमें स्थानीय स्वशासन के लिए गांव से लेकर जिला स्तर तक एक त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था का सुझाव दिया।
3. इस त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को ही लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की संज्ञा दी गई।
4. लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का अर्थ है कि शासन-सत्ता को एक स्थान पर केंद्रित करने के बजाय उसे स्थानीय स्तरों पर विभाजित किया जाए, ताकि आम आदमी की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित हो सके और वह अपने हितों व आवश्यकताओं के अनुरूप शासन-संचालन में अपना योगदान दे सके।
5. समिति ने त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के अंतर्गत ग्राम स्तर पर ग्राम पंचायत, प्रखंड स्तर पर पंचायत समिति और जिला स्तर पर जिला परिषद के गठन का सुझाव दिया गया तथा लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का शुभारंभ पंचायत स्तर पर करने की सिफ़ारिश भी की।
6. दिनांक 12 जनवरी 1958 को राष्ट्रीय विकास परिषद (National Development Council) ने बलवंत राय मेहता समिति की सिफ़ारिश को स्वीकार किया और इसे प्रत्येक राज्यों से अनुसरण करने की अनुशंसा की।
7. आंध्र प्रदेश देश पहला राज्य था जिसने अपने कुछ क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था को वर्ष 1958 में प्रायोगिक(Practical) रूप में लागू किया।
8. दिनांक 2 अक्टूबर 1959 को गाँधीजी की जयंती पर पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने राजस्थान के नागौर जिले के बगदरी गांव में सर्वप्रथम इसकी औपचारिक शुरूवात की और इसे पूरे राजस्थान में लागू किया।
9. राजथान देश का पहला राज्य है जहां सर्वप्रथम औपचारिक रूप से पंचायती राज व्यवस्था की सुचारू रूप से स्थापना की गई।
10. स्थानीय स्वशासन की कायाकल्प और सृजन करने के कारण ही बलवंत राय मेहता को पंचायती राज व्यवस्था का वास्तुकार या शिल्पी कहा जाता है।
11. लाॅर्ड रिपन को भारत में स्थानीय स्वशासन का जनक माना जाता है। इन्होंने पूरे देश में ताल्लुका बोर्ड एवं जिला बोर्ड स्थापित करने की अनुशंसा की। इसी अनुशंसा को स्थानीय स्वशासन का मैग्नाकार्टा कहा गया।
12. स्थानीय स्वशासन का साधारण शब्दों में मतलब है निचले स्तर पर सभी लोगों की भागीदारी को सुनिश्चित करना एवं लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण को आम जनमानस तक सुलभ करना। ताकि कतार की संख्या में खड़ा अंतिम व्यक्ति भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सके और अपनी बातें को सही मायने में रख पाने में सक्षम हो।
13. बलवंत राय मेहता एक जाने माने राजनीतिज्ञ थे जिन्हें गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में भी कार्यभार सम्भालने का गौरव प्राप्त है।
14. बलवंत राय मेहता का पूरा नाम बलवंत राय गोपाल जी मेहता था जो कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे जिनका योगदान असहयोग आंदोलन, बारदोली सत्याग्रह और भारत छोड़ो जैसे आंदोलनों में प्रमुखता से था।
15. भारत में प्रतिवर्ष 24 अप्रैल को लोकतंत्र की नींव के रूप में पंचायती राज दिवस मनाया जाता है।
16. दिनांक 24 अप्रैल को पंचायती राज दिवस मनाए जाने का कारण 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम,1992 है जो 24 अप्रैल 1993 से प्रभाव में आया था।
17. वर्ष 2004 में पंचायती राज को अलग मंत्रालय का दर्ज़ा दिया गया।
18. गाँधीजी ने पंचायती राज के बारे में कहा था कि “सच्चा लोकतंत्र केंद्र में बैठकर राज्य चलाने वाला नहीं होता, अपितु यह तो गाँव के प्रत्येक व्यक्ति के सहयोग से चलता है।”
19. वर्ष 1993 में 73वें व 74वें संविधान संशोधन के माध्यम से भारत में त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्ज़ा प्राप्त हुआ।
20. सन 1870 में स्वयं लार्ड मेयो ने पंचायतों को कार्यात्मक एवं वित्तिय रूप में स्वायत्ता प्रदान की।
![बलवंत राय मेहता](https://www.gkjankari.com/wp-content/uploads/2020/12/br-mehta.jpeg)
बलवंत राय मेहता का पूरा नाम बलवंत राय गोपाल जी मेहता था जो कांग्रेस पार्टी से जुड़े थे जिनका योगदान असहयोग आंदोलन, बारदोली सत्याग्रह और भारत छोड़ो जैसे आंदोलनों में प्रमुखता से था।
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very informative