गुटनिरपेक्ष (non-Alignment)

गुटनिरपेक्षता का सिद्धांत और वर्तमान में इसकी प्रासंगिकता

भूमिका 

गुटनिरपेक्ष (non-Alignment)- जैसा की नाम से ही स्पष्ट हो रहा है की किसी भी गुट से दूर रहना | द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पूरी दुनिया दो गुटों में बट गयी थी | पहला गुट अमेरिका और उसके सहयोगी देशों का था तथा दूसरा गुट सोवियत संघ और उसके सहयोगी देशो का था | ऐसी परिस्थिति में कुछ राष्ट्र दोनों गुटों से दूर रहना चाहते थे तथा दोनों गुटों से अच्छा सम्बन्ध रखते हुए आगे बढ़ना चाहते थे |

भारत को गुटनिरपेक्ष आंदोलन का जनक कहा जाता है। वर्ष 1961 में बेलग्रेड (यूगोस्लाविया) में सम्पन्न हुए इस गुटनिरपेक्ष सम्मेलन में गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत को मूर्त रूप दिया गया। इस सिद्धांत को प्रतिपादित करने में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णों, मिस्र के राष्ट्रपति नासिर और यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति मार्शल टीटो की प्रमुख भूमिका रही।

शुरुवात में गुटनिरपेक्षता की नीति पर 25 देशों ने अपनी सहमति प्रदान की तथा साल 2016 आते आते इसके सदस्य देशों की संख्या 120 तक पहुँच गई। ध्यातव्य है कि जिस देश में इसका शिखर सम्मेलन होता है वही देश इसकी अध्यक्षता करता है। भारत वर्ष 1983 में नई दिल्ली में हुए 7वें गुटनिरपेक्ष आंदोलन के शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता की।

जवाहर लाल नेहरू के बाद तात्कालिक प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन के गति में नई दशा और दिशा प्रदान की। जिसको बाद में आने वाले प्रधानमंत्रीयों ने भी इस नीति को गर्मजोशी से समर्थन जारी रखा। 7वें गुटनिरपेक्ष आंदोलन के शिखर सम्मेलन में गुटनिरपेक्षता को स्पष्ट करते हुए इंदिरा गांधी ने कहा था कि ” गुटनिरपेक्षता अपने आप में एक नीति है। यह केवल एक ही लक्ष्य नहीं, इसके पीछे उद्देश्य यह है कि निर्णयकारी स्वतंत्रता और राष्ट्र की सच्ची भक्ति तथा बुनियादी हितों की रक्षा की जाय।”

नोट : गुटनिरपेक्ष आंदोलन की नींव इंडोनेशिया में हुए आयोजित बांडुग सम्मेलन में साल 1955 में रखी गई। जिसमें गुटनिरपेक्ष की नीति और इसके रूप रेखा पर जमीनी स्तर पर स्पष्टीकरण दिया गया जो आगे चलकर 1961 में गुटनिरपेक्षता के सिद्धांत के नाम से जाना गया। भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति को US के विदेश मंत्री जॉन फोस्टर डलास ने “अनैतिक निष्पक्षता” की संज्ञा दी थी।

गुटनिरपेक्षता की नीति के प्रेरक तत्व

  1. उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद का विरोध किया जाए
  2. राष्ट्रवाद, सम्प्रभुता तथा आत्मसम्मान की रक्षा की जाए
  3. आर्थिक विकास के लिए प्रयास किया जाए
  4. विश्वास में शांति स्थापना के लिए प्रयास किया जाय

गुटनिरपेक्षता की नीति के प्रमुख लक्षण

  1. प्रत्येक देश को सैनिक गुटों से अलग रहना तथा महाशक्तियों के साथ समझौता न करना
  2. स्वतंत्र विदेश नीति का निर्धारण एवं निर्वहन करना
  3. शांति और एकता की नीति का विस्तार करना
  4. उपनिवेशवाद एवं साम्राज्यवाद का विरोध करना
  5. विकासशील नीति एक अनुसरण करना
  6. गुटनिरपेक्षता को गुट न मानकर एक अलग आंदोलन मानना
  7. गुटनिरपेक्ष आंदोलन U.N.O. के उद्देश्यों एवं आदर्शों को स्थापित करने में सहायक है।

वर्तमान में गुटनिरपेक्षता की नीति की प्रासंगिकता

एक जमाना था जब संयुक्त राज्य अमरीका एवं सोवियत संघ के बीच काफी समय से शीत युद्ध चला। दोनों देश के सहयोगी देश आपस में ध्रुवीकरण की ओर अग्रसर हो रहे थे। पूरा विश्व दो खेमें में बंट रहा था। एक खेमा USA की ओर तथा दूसरा खेमा सोवियत संघ (USSR) की ओर। इन्हीं परिस्थितियों को देखते हुए भारत ने विश्व के सामने गुटनिरपेक्षता की अगुआई की।

फिलहाल अब विश्व में शीत युद्ध की कोई स्थिति नहीं है। USA और रूस के अलावे अभी चीन भी महाशक्ति के रूप में उभर रहा है तथा वैश्वीकरण में अपना पांव पसार रहा है। अभी स्थिति चाहे जैसी भी हो गुटनिरपेक्षता की नीति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सदस्य देशों की बढ़ती संख्या एवं विश्व के अन्य देशों का इस नीति के प्रति रुझान यह साफ स्पष्ट करता है कि गुटनिरपेक्षता की नीति की प्रासंगिकता अभी खत्म नहीं हुई है बल्कि समय के साथ साथ गुणोत्तर श्रेणी में इसका विकास हुआ है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से आज हर एक देश अपने को गुटनिरपेक्ष देश के रूप में वैश्विक स्तर पर दर्शा रहा है जो कि वैश्विक शांति और मानव समाज के लिए एक सुखद सन्देश है।

आप हमे फेसबुक के THE GKJANKARI पेज पर फॉलो कर सकते हैं | ट्विटर – GKJANKARI

अन्य GK जानकारी

भारत छोड़ो आन्दोलन 1942

असहयोग आंदोलन (1920-22) TOP 20 FACTS OF NON COOPERATION MOVEMENT

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
HAPPY BIRTHDAY प्रियदर्शिनी GK FACT – National Unity Day क्यों मनाया जाता है ऋषि सुनक का जीवन परिचय सूर्य ग्रहण क्यों होता है Abdul Kalam Quotes