मनीला रस्सी(Manila rope) के बारे में जानने से पहले ये जानना ज़रूरी है कि इस रस्सी का नाम मनीला कैसे पड़ा . हमारे देश भारत पर ब्रिटेन ने राज किया तथा यहाँ के नियम, कानून और संविधान निर्माण पर अंग्रेजों का प्रभाव रहा है . ब्रिटिश काल में जब किसी को फांसी दी जाती थी तो फासी के फंदे की रस्सी फिलिपिन्स की राजधानी मनीला से मंगवायी जाती थी . इसीलिए इस रस्सी को मनीला रस्सी के नाम से जाना जाता है . बाद में अंग्रेजो ने बिहार के बक्सर जेल में इस रस्सी को बनाने के लिए मशीने और उपकरण लगवाए और तभी से भारत के हर जेल के लिए मनीला रस्सी का निर्माण बक्स्सर जेल द्वारा किया जाता है .
manila rope जेल में सजा काट रहे कैदियों द्वारा ही तैयार की जाती है . जेल के कैदियों को इस रस्सी बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता है . इस रस्सी को अबाका पोधे से बनाया जाता है .यह रस्सी प्राकृतिक रूप से मजबूत होती है . मनीला रस्सी घर्षण और कम खिंचाव के लिए बहुत अच्छा प्रतिरोध के साथ उच्च शक्ति प्रदान करती है।
आपको बता दें की सामान्यतः एक फांसी के फंदे के तक़रीबन 4 किलो मनीला रस्सी की ज़रुरत होती है, जिसकी कुल लम्बाई 20 फीट तक होती है . लेकिन फांसी दिए जाने वाले व्यक्ति के वजन और कद के हिसाब से इसमें परिवर्तन भी हो सकता है . इस रस्सी को बनाने के लिए नमी की ज़रुरत पड़ती है, जिससे यह मुलायम हो सके . चुकी बक्सर जेल गंगा नदी के किनारे है इसलिए गंगा नदी से मिलने वाली आद्रता से मनीला रस्सी के लिए आवश्यक नमी मिल जाती है.
मनीला रस्सी को बनने के लिए जे -34कॉटन(रुई ) का प्रयोग किया जाता है . जिसका उत्पादन पंजाब के भटिंडा में होता है . बक्स्सर जेल के अन्दर मौजूद पॉवरलूम मशीन कॉटन के धागों को अलग करती है . इस रस्सी से एक फांसी के फंदे को बनाने के लिए तक़रीबन 72 सौ धागों का प्रयोग होता है . इसके अतिरिक्त इस रस्सी को बनाने के लिए मोम,फेविकोल, पीतल का बुश, पैराशूट रोप का भी प्रयोग किया जाता है.
देश के किसी भी कोने में अगर किसी भी व्यक्ति को फांसी दी जाती है तो उसके लिए बक्स्सर जेल को प्री आर्डर दिया जाता है . इस रस्सी को फांसी के फंदे की रस्सी के लिए बहुत ही विश्वशनीय और कारगर माना गया है , क्योंकि अभी तक इस रस्सी से दिए गये किसी भी फांसी के फंदे में कोई विफलता या गड़बड़ी नहीं देखी गयी है.
किसी गुनहगार को फांसी देने के लिए बक्सर जेल से मनीला रस्सी एक आम रस्सी के रूप में फांसी दिए जाने वाले जेल में पहुंचती है. जिसमें लूप बनाने और गर्दन का घेरा बनाने या यूं कहे की फांसी का फंदा बनाने का काम जल्लाद का होता है . फांसी देने से पहले इस फंदे का ट्रायल किया जाता है जिससे इसकी मजबूती और गुणवत्ता की जाँच की जाती है तथा फांसी देने की प्रक्रिया की प्रैक्टिस भी किया जाता है. इसकी मजबूती और गुणवत्ता की जाँच के लिए फांसी दिए जाने वाले कैदी के वजन के बराबर बोरियों में रेत भरकर इसे मनीला रस्सी से लटकाया जाता है .
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