DELTA AND ESTUARY
डेल्टा DELTA और एस्चुअरी ESTUARY नदी के मुहाने के प्रकार है | नदी जहाँ से निकलती है उसे नदी का श्रोत कहते है तथा अपनी यात्रा पूरी करने के बाद एक नदी जब किसी समुद्र या महासागर में गिरती है उसे नदी का मुहाना कहते है | डेल्टा और एस्चुअरी भी किसी नदी के मुहाने पर बनी स्थालाकृतियाँ हैं|
डेल्टा (DELTA)- DELTA शब्द यूनानी विद्वान हेरोडोटस का दिया हुआ है | यूनानी विद्वान हेरोडोटस ने नील नदी के मुहाने का बहुत गहराई से अध्धयन करने के बाद गणित में प्रयोग होने वाले संकेत डेल्टा के नाम से नील नदी के मुहाने के अध्धयन को प्रस्तुत किया था | तभी से नील नदी की तरह जिन जिन नदियों के मुहाने है उन्हें डेल्टा के नाम से जाना जाता है |
जिन नदियों के मुहाने पर घाटी का ढाल बहुत धीमा होता है या यूँ कहे की समुद्र में मिलने से पहले नदी के मुहाने का ढाल थोडा ऊँचा होता है,तो ऐसी नदियाँ अपने मुहाने पर डेल्टा बनाती हैं | ढाल कम होने के कारण नदी का वेग बहुत कम हो जाता है , जिससे नदी के भार वहन करने की क्षमता घटने लगती है | नदी अपने बहाव के साथ लायी विखंडित पदार्थो को ढ़ोने में असमर्थ होने लगती है और विखंडित पदार्थों का जमाव करने लगती है | विखंडित पदार्थों का घाटी में इतना अधिक जमाव हो जाता है की नदी की धारा कई शाखाओ में विभक्त होकर बहते हुए समुद्र में मिलती है| इन शाखाओं को ‘जल वितरिका’ कहते है और नदी के ऐसे मुहाने को डेल्टा कहते हैं|
चापाकार डेल्टा (Arcuate Delta) – चापाकार डेल्टा या Arcuate Delta का आकार पंखे के आकार का होता है| चापाकार डेल्टा घुमावदार होते हैं | इनमें विखंडित पदार्थों से बने जमाव मोटी परत के होतें हैं |
चापाकार डेल्टा बनाने वाली नदियों के नाम – गंगा , नील , डेन्यूब, मेकंग, पो, लीना, रोन, राईन, वोल्गा, नाइज़र, सिन्धु, ह्वांगहो, इत्यादि |
चिड़िया के पंजे के आकृति वाला डेल्टा (Bird’s foot Delta)- Bird’s foot Delta को फिंगर डेल्टा भी कहा जाता है | इस प्रकार के डेल्टा का आकार किसी चिड़िया के पंजे के आकार का होता है | इस प्रकार के डेल्टा में विखंडित पदार्थ काफी महीन होते हैं जो नदी के मुहाने को कई जल वितरिकाओं में विभाजित करते हैं |
अमेरिका की मिसिसिपी नदी इस प्रकार का बनाती है |
ये डेल्टा के दो उदहारण थे | चलिए अब जानते हैं की एस्चुअरी Estuary क्या होता है और Estuary कैसे बनता है |
एस्चुअरी या ज्वारनदमुख (Estuary)- ऐसी नदियों का मुहाना जिसपर नदी घाटी का ढाल अधिक होता है उस पर ज्यादातर एस्चुअरी Estuary या ज्वारनदमुख का निर्माण होता है|ढाल अधिक होने के कारण मुहाने पर पहुंच कर नदी के जल का वेग बढ़ जाता है जिससे उसके भार ढ़ोने की क्षमता भी बढ़ जाती है | इसलिए ऐसी नदियाँ या तो अपने मुहाने पर विखंडित पदार्थो जमाव होने ही नहीं देती या बहुत कम जमाव करती हैं|यदि थोडा बहुत जमाव हो भी जाता है तो ज्वारीय लहरें उसे साफ़ कर देती हैं |नदियों के ऐसे मुहाने पर विखंडित पदार्थो का नदी का जल बिना किसी अवरोध के तथा बिना शाखाओं में विभक्त हुए सीधे समुद्र में मिल जाती हैं | नदी के ऐसे मुहाने को Estuary या ज्वारनदमुख कहते हैं |
Estuary का निर्माण करने वाली नदियाँ – नर्मदा , ताप्ती , ओडर , विस्तुल , एल्बे , हडसन इत्यादि
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बहुत सुंदर पोस्ट