mandal commission
सन 1978 में जनता पार्टी की सरकार बनी और मोरार जी देसाई प्रधानमंत्री चुने गए। तदोपरांत जनवरी 1979 में तत्कालीन जनता पार्टी सरकार द्वारा मंडल आयोग (Mandal Commission) का गठन किया गया था।
ध्यातव्य है इसके अध्यक्ष श्री बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल थे तथा इसके अतिरिक्त इस आयोग में अन्य पांच सदस्य और भी थे | मंडल आयोग की फाइनल रिपोर्ट दिसम्बर 1980 में आई थी, जिसमें पिछड़े वर्ग की पहचान का निर्धारण तीन आयामों पर की गई जो निम्नवत है :
1 | सामाजिक |
2 | शैक्षणिक |
3 | आर्थिक |
इस आयोग में मुख्य रूप से निम्नलिखित सिफारिशें की गयी थी :
1). अन्य पिछड़ा वर्गों (OBC) के लिए किसी अवसर में 27% आरक्षण प्रदान किया जाए।
2). आरक्षण आरम्भिक नियुक्तियों के साथ साथ पदोन्नति में भी प्रारंभ किया जाए।
3). आरक्षित पदों को तीन वर्ष तक आरक्षित रखने के तदोपरांत ही अनारक्षित किया जाए।
4). SC एवं ST की तरह ही OBC को भी आयु सीमा में छूट दिया जाए।
5). केन्द्रीय सरकार पिछड़े वर्गों के लिए कल्याणकारी कार्यक्रम चलाने के लिए सहायता प्रदान करे।
6). भूमि सुधार कानून लागू किया जाये जिससे जमींदारी प्रथा को समूल रूप से समाप्त किया जा सके।
7). केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के अधीन सेवाओं में OBC के हितों की सुरक्षा हेतु अलग मंत्रालय/विभाग बनाया जाए।
मंडल आयोग से जुड़े कुछ अन्य तथ्य:
अगस्त 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह (VP Singh) ने बिन्देश्वरी प्रसाद मंडल के रिपोर्ट को लागू किया। जिसके बाद देश के कई क्षेत्रों में छात्रों ने व्यापक पैमाने पर आन्दोलन किया था।
नवम्बर 1992 में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकारी नौकरियों में OBC को 27% आरक्षण को 1 लाख रुपए की वार्षिक आय की आर्थिक सीमा के भीतर लागू करने का आदेश दिया था | जिसे सन 2015 में इस राशि को बढाकर 8 लाख रुपए प्रति वर्ष कर दिया गया।
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