ज्वार-भाटा GK , JWAR BHATA IN HINDI.
ज्वार भाटा का सिद्धांत बड़ा ही रोचक एवं अद्भुत है। लगभग हर एक परीक्षाओं में ज्वार भाटा से सम्बंधित प्रश्न पूछे जाते रहे हैं। जैसे कि ज्वार भाटा क्या है, ज्वार भाटा in hindi, ज्वार भाटा किसे कहते हैं यह क्यों आता है। आपके भी मन में यह सवाल आता ही होगा कि आखिर ज्वार भाटा का मतलब क्या है, ज्वार-भाटा कितने प्रकार के होते हैं तथा विश्व में सबसे ऊंचा ज्वार भाटा कहाँ आता है ?
इस लेख को पढ़ लेने के बाद आप बड़े ही आसानी से समझ पाएंगे कि ज्वार भाटा क्या है क्यों आते हैं इसके प्रकार और मानव जीवन में महत्व क्या है। साथ ही इस लेख में आपको यह भी जानने को मिलेगा कि 24 घण्टे में ज्वार भाटा कितने बार आता है और भारत में सबसे ऊंचा ज्वार भाटा कहाँ आता है ?
ज्वार भाटा क्या है Jwar bhata in hindi
ज्वार भाटा महासागरीय लहरों का ही एक रूप है . सूर्य तथा चंद्रमा की आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीय जल के ऊपर उठने को ज्वार तथा उस सागरीय जल के नीचे गिरने को भाटा कहा जाता है . इससे उत्पन्न सागरीय तरंगो को ज्वारीय तरंगे कहते हैं.
ज्वार-भाटा किसे कहते है? या ज्वार और भाटा में क्या अंतर है ? Difference between Tide and Ebb
आसान शब्दों में कहे तो जब समुद्र का जल उपर उठता है तो इस स्थति को ज्वार (Tide) कहते हैं . इससे निर्मित समुद्र के उच्च तल को उच्च ज्वार (High Tide) कहते हैं .जब समुद्र का जल नीचे गिराने लगता है और जल समुद्र की ओर पीछे हटने लगता है तो इस स्थति को भाटा (Ebb) कहते हैं . इससे निर्मित समुद्र के निम्न तल को निम्न ज्वार (Low Tide) कहते हैं .
ज्वार-भाटा की उत्पत्ति के कारण-
कभी आपने सोचा है कि ज्वार-भाटा क्यों उत्पन्न होता है , हमारी पृथ्वी पर दो तिहाई भाग जल है इस महासागरीय जल पर जब सूर्य और चंद्रमा का आकर्षण बल लगता है तब ज्वार की उत्पत्ति होती है.
जब चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में होते है तो चंद्रमा के सामने स्थित भाग पर चंद्रमा का आकर्षण बल सबसे अधिक होता है और उसके पीछे वाले भाग पर चंद्रमा का आकर्षण सबसे कम होता है . इसलिए पृथ्वी का जो भाग चंद्रमा के ठीक सामने होता है वहां का सागरीय जल चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ऊपर उठ जाता है .जिस कारण इस क्षेत्र में उच्च ज्वार आता है
इसके विपरीत पृथ्वी का वह हिस्सा जो चंदमा के विपरीत दिशा में होता है वहां पर निम्न ज्वार आता है .
इस प्रकार 24 घंटे में प्रत्येक स्थान पर दो बार ज्वार का अनुभव किया जाता है .
जब सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं तो दोनों की आकर्षण शक्ति एक साथ लगती है इसलिए पृथ्वी के विभिन्न हिस्सों पर उच्च ज्वार का अनुभव किया जाता है . यह स्थिति पूर्णमासी या अमावस्या के दिन होती है .
जब सूर्य , पृथ्वी तथा चंद्रमा मिलकर समकोण बनाते हैं है तो सूर्य और चंद्रमा की आकर्षण शक्ति एक दुसरे के विपरीत लगती है जिसके कारण निम्न ज्वार का अनुभव किया जाता है , यह स्थिति प्रत्येक कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की अष्टमी को होती है .
ज्वार-भाटा के प्रकार Types of Jawar Bhata in hindi
सागरीय जल में ज्वार का सीधा सम्बन्ध चंद्रमा और सूर्य की आकर्षण शक्तियों से हैं . जैसे जैसे पृथ्वी , चंद्रमा और सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है वैसे ही ज्वारिय तरंगो में भी परिवर्तन देखने को मिलता है और इसी आधार पर ज्वार को कई भागो में विभक्त किया जाता है .
- पूर्ण ज्वार या दीर्घ ज्वार (Spring Tide)-
- लघु ज्वार (Neap Tide)
- भूमध्यरेखीय ज्वार (Equatorial Tide)
- अपभू तथा उपभु ज्वार (Apogean & Perigean Tide)
- दैनिक ज्वार (Daily Tide)
- अर्ध्दैनिक ज्वार (Semi-Daily Tide)
- मिश्रित ज्वार (mixed Tide)
1.पूर्ण ज्वार या दीर्घ ज्वार (Spring Tide)-
जब सूर्य , चंद्रमा और पृथ्वी एक सरल रेखा में होते हैं तो इस स्थिति को युति -वियुती (CONJUNCTION- OPPOSITION) या सिजिगी (SYZYGY) कहते हैं.
युति (CONJUNCTION) की स्थिति तब होती है जब सूर्य ,चन्द्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा मे होते हैं और सूर्य और पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा होता है. यह सूर्यग्रहण की स्थिति है और यह दिन अमावस्या (NEW MOON)का दिन होता है. इसके विपरीत जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्वी होती है तो उसे वियुती (OPPOSITION) की स्थति कहते हैं . यह दिन पूर्णमासी (FULL MOON) का होता है .
इन दोनों स्थितियों में सूर्य तथा चंद्रमा का आकर्षण बल एक साथ मिलकर काम करता है जिस कारण पृथ्वी पर उच्च ज्वार का अनुभव किया जाता है. इस ज्वार की उचाई सामान्य ज्वार से 20 प्रतिशत अधिक होती है. इसलिए, इस तरह के दीर्घ ज्वार महीने में दो बार आते हैं एक अमावस्या को और दूसरा पूर्णमासी को . दीर्घ ज्वार के समय भाटा की निचाई भी सबसे कम होती है.
2. लघु ज्वार (Neap Tide)
जब सूर्य , चंद्रमा और पृथ्वी की स्थिति समकोण में होती है तो इस स्थिति को समकोणीय स्थिति (quadrature) कहते हैं. प्रत्येक मॉस के शुक्ल पक्ष और कृष्णपक्ष की सप्तमी और अष्टमी को सूर्य चंद्रमा और पृथ्वी समकोणीय स्थिति में होते हैं. इस स्थिति में सूर्य तथा चंद्रमा के ज्वार उत्पन्न करने वाले बल एक दुसरे के विपरीत कार्य करते हैं, जिस कारण से ज्वार की उचाई सामान्य ज्वार से 20 प्रतिशत नीची होती है . इसीलिए इसे लघु ज्वार कहते हैं. भाटा की भी निचाई सामान्य भाटा से कम होती है.
3. भूमध्यरेखीय ज्वार (Equatorial Tide)-
चंद्रमा 27.5 दिन में पृथ्वी की एक परिक्रमा कर लेता है . चंद्रमा हर महीने कर्क और मकर रेखा पर लम्बवत होता है तथा प्रत्येक महीने में चंद्रमा भूमध्य रेखा पर भी लम्बवत होता है , जिससे वहां असमान ज्वार आते हैं , इसे भूमध्यरेखीय ज्वार (Equatorial Tide) कहते हैं .
4. अपभू तथा उपभू ज्वार ( Apogean & Perigean Tides)
चंद्रमा अपने अंडाकार कक्षा में पृथ्वी के चारो ओर परिक्रमा करता है. इस बीच चंद्रमा एक समय में पृथ्वी के सबसे निकट होता है, उस स्थिति को चंद्रमा की उपभू स्थिति (Perigee) कहते हैं.
उपभू स्थिति में चंद्रमा का पृथ्वी पर पड़ने वाला आकर्षण बल सबसे अधिक होता है , इसलिए पृथ्वी पर उच्च ज्वार उत्पन्न होते हैं. इसे उपभू ज्वार Perigean Tides कहते हैं.
इसके विपरीत जब चंद्रमा पृथ्वी के चारो उर परिक्रमा करता है तो एक स्थिति ऐसी आती है जब चंद्रमा पृथ्वी से अधिकतम दूरी पर होता है , इस स्थिति को चंद्रमा की अपभू स्थिति (Apogee) कहते हैं .
अपभू स्थिति में चंद्रमा का पृथ्वी पर पड़ने वाला आकर्षण बल सबसे कम होता है, इसलिए पृथ्वी पर लघु ज्वार उत्पन्न होते हैं , इसे अपभू ज्वार Apogean Tides कहते हैं.
5. दैनिक ज्वार ( Daily Tide)
एक दिन में किसी स्थान पर आने वाले एक ज्वार तथा एक भाटा को दैनिक ज्वार कहते हैं .दैनिक ज्वार 24 घंटे 52 मिनट के बाद आते हैं. मैक्सिको की खाड़ी और फिलीपाइन द्वीप समूह में दैनिक ज्वार आते हैं.
6. अर्ध्दैनिक ज्वार (Semi-Daily Tide)
एक दिन में किसी स्थान पर दो बार आने वाले ज्वार-भाटा को अर्ध्दैनिक ज्वार कहते हैं. अर्ध्दैनिक ज्वार (Semi-Daily Tide) प्रत्येक दिन 12 घंटे 26 मिनट के अन्तराल पर आते हैं. इसमें दोनों ज्वारों की ऊँचाइ तथा दोनों भाटा की निचाई एक सामान होती है
7. मिश्रित ज्वार (mixed Tide)-
मिश्रित ज्वार भी अर्ध्दैनिक ज्वार की तरह एक दिन में किसी स्थान पर दो बार आते हैं लेकिन मिश्रित ज्वार में दोनों ज्वारों की ऊँचाइ तथा दोनों भाटा की निचाई एक सामान नहीं होती है.
अब तक आपने यह बड़े ही साधारण भाषा में समझ ही लिया होगा कि ज्वार भाटा क्या है तथा ज्वार भाटा क्यों उत्पन्न होता है। ज्वार भाटा के प्रकार समझकर आपको यह जरूर में ख्याल आया होगा कि आखिर ज्वार भाटा का फायदा क्या है ? ज्वार भाटा का महत्व क्या है ? प्रकृति में जो भी है उसका कोई न कोई आशय जरूर है।
ठीक वैसे ही ज्वार भाटा का महत्व निम्नलिखित है :
ज्वार-भाटा के लाभ
क) ज्वार भाटा से उत्पन्न ऊर्जा को ज्वारीय ऊर्जा कहते हैं। ज्वारीय ऊर्जा का उपयोग बिजली उत्पन्न करने में किया जाता है। इस तरह से ज्वार भाटा की मदद से इलेक्ट्रिसिटी प्रोडक्शन को फायदा होता है।
ख) ज्वार भाटा के तट से आने जाने के फलस्वरूप समुद्र का मुहाना अच्छी तरह से साफ हो जाता है। यह एक स्वीपर की भांति समुद्र के मुहाने की सफाई में भी भूमिका अदा करता है।
ग) ज्वार भाटे का उपयोग किसी जहाज को तट तक लाने और तट से समुद्र में प्रवेश कराने में बड़ी ही कारगर भूमिका अदा करता है। जैसे ही ज्वार आता है समुद्र में पड़ी जहाज बिना किसी मानवीय ऊर्जा के तट के समीप आ जाती है। ठीक ऐसे ही कोई जहाज को समुद्र में उतारने का काम रिटर्न जाती हुई भाटा कर देती है।
घ) ज्वार भाटे का उपयोग नमक उत्पादन में बड़े ही स्तर पर किया जाता है। समुद्र तट के आसपास ऐसे नमक बनाने वाले ढाँचे को बनाकर रखा जाता है कि ज्वार जब आता है तो पानी भर देता है उस सांचे में। और फिर इसी सांचे से नमक का परिष्करण करके नमक का विपणन किया जाता है।
ङ). ज्वार भाटे अपने साथ सिप, मोती, शंख तथा समुद्रीय पदार्थ भी लाते हैं जो साजो सज्जा और सजावट के कार्य में उपयोग होता है।
■ ज्वार भाटा Gk और ज्वार भाटे से related Important प्रश्न जो लगातार परीक्षाओं में पूछे जाते हैं निम्नलिखित हैं :
◆एक दिन में चार बार ज्वार भाटा कहाँ आता है ?
इंग्लैंड के दक्षिणी तट पर स्थित साउथेम्पटन में ज्वार एक दिन में चार चार बार आते हैं। इसका कारण वहां दो सागरों यथा उत्तरी सागर और इंग्लिश चैनल का होना है। दो बार उत्तरी सागर और दो बार इंग्लिश चैनल में ज्वार आने के कारण यहाँ प्रतिदिन दिन भर में 5 बार ज्वार आता है।
◆ ज्वार भाटा क्या है ?
सागरीय जल के ऊपर उठने को ज्वार तथा उस सागरीय जल के नीचे गिरने को भाटा कहा जाता है।
◆ ज्वार-भाटा आने का मुख्य कारण क्या है?
ज्वार भाटा आने का मुख्य कारण पृथ्वी, चन्द्रमा तथा सूर्य की पारस्परिक गुरुत्वाकर्षण शक्ति की क्रियाशीलता एवं परस्परता है
◆ विश्व में सबसे ऊँचा ज्वार कहाँ आता है ?
विश्व में सबसे ऊँचा ज्वार फंडी की खाड़ी में आता है। फंडी की खाड़ी Bay of Fundy कनाडा के पूर्वी तट के आसपास स्थित है।
◆ ज्वार-भाटा कितने प्रकार का होता है?
- पूर्ण ज्वार या दीर्घ ज्वार (Spring Tide)-
- लघु ज्वार (Neap Tide)
- भूमध्यरेखीय ज्वार (Equatorial Tide)
- अपभू तथा उपभु ज्वार (Apogean & Perigean Tide)
- दैनिक ज्वार (Daily Tide)
- अर्ध्दैनिक ज्वार (Semi-Daily Tide)
- मिश्रित ज्वार (mixed Tide)
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