वायुमंडल क्या है ?
- वायुमंडल कई सारे गैसों का मिश्रण है जो कि पृथ्वी के चारों तरफ फैली हुई है। जैसे कि नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन, कार्बन डाई ऑक्साइड इत्यादि। ये सारी गैसें रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन होती हैं जो कई सौ किलोमीटर के मोटे घेरे के आवरण में रहती हैं। देखा जाए तो वायुमंडल पृथ्वी पे एक तरह से वाल्व की तरह काम करती है, जो सूर्य से आने वाली ऊष्मा को रोक कर तापमान नियंत्रित रखती है। जिससे कि पृथ्वी पे जीवन जीने योग्य औसत तापमान बरकरार रहता है। पृथ्वी के साथ वायुमंडल गुरुत्वाकर्षण के कारण टिका रहता है।
- यह विभिन्न गैसों का ऐसा Layer है जिनसे सूर्य की किरणें प्रवेश तो कर जाती हैं लेकिन वापिस नहीं जा पाती हैं। साधारण शब्दों में वायुमंडल एक तरह से पृथ्वी को अत्यधिक गर्मी और अत्यधिक सर्दी से Cover करती है। इसे आप पृथ्वी की Shed या Blanket कह सकते हैं जो समूचे सजीव जगत को सुरक्षित रखती है।
- समूचे ब्रह्मण्ड में पृथ्वी ही एक ऐसा ग्रह है जहाँ वायुमंडल है। और इसमें कोई दो राय नहीं है कि वायुमंडल से ही जीवन सम्भव है। बाकी अन्य ग्रहों जैसे कि मंगल, शुक्र, शनि इत्यादि पर वायुमंडल के ना होने से वहां जीवन का अस्तित्व होना अभी तक सम्भव नहीं हो पाया है।
वायुमंडल न सिर्फ विभिन्न गैसों का मिश्रण है अपितु इसमें जलवाष्प और धूलकण भी समाहित है। वायुमंडल के प्रमुख गैसों का विवरण निम्नलिखित है :
- नाइट्रोजन (N2) – वायुमंडलीय गैसों की तुलना में नाइट्रोजन का अनुपात सर्वाधिक है। यह समूचे गैसों का अकेला 78.03 % है।
- ऑक्सीजन (O2) – वायुमंडलीय गैसों में ऑक्सीजन की मात्रा नाइट्रोजन से कम है। यह समूचे गैसों का अकेला 20.99 % है। यही ऐसी गैस है जो पृथ्वी पर जीवन जीना संभव बनाती है। इसी कारण इसे प्राणदायिनी गैस भी कहते है। 120 किलोमीटर की ऊंचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा नगण्य हो जाती है। इसीलिए ऊंचे पहाड़ों और चोटियों पे चढ़ते वक़्त अक्सर पर्वतारोहियों के नाक से खून निकलने लगते हैं और उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
- आर्गन (Ar) – वायुमंडल में कई सारी अक्रिय गैसें हैं जैसे कि नियोन, हीलियम, क्रिप्टोन, जेनान एवं ओजोन। इन सारी अक्रिय गैसों में आर्गन की मात्रा सर्वाधिक है जो कि कुल 0.93 % है। बाकियों की तुलना में आर्गन अक्रिय गैसों में एक भारी गैस है।
- कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) – यह बहुत ही महत्वपूर्ण गैस है जो सूर्य की आपतित ऊष्मा को रोककर पृथ्वी पर जीवन जीना अनुकूल बनाती है। इसकी मात्रा अन्य गैसों की तुलना में बहुत ही कम है जो कि समूचे वायुमंडलीय गैसों का सिर्फ 0.03% है। यह एक तरह से पृथ्वी के लिए चादर की तरह काम करती है और ग्रीन हाउस इफेक्ट को नियंत्रित रखती है। अत्यधिक वायु प्रदूषण और वृक्षों की कटाई से अभी CO2 का लेवल ज्यादा बढ़ गया है जो ग्रीन हाउस इफेक्ट को प्रभावित कर रही है। ध्यान रहे है कि आदर्श ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट का होना बहुत जरूरी है। इसी समस्या निवारण हेतु साल 1997 में जापान में ”क्योटो प्रोटोकॉल” की आधारशिला रखी गई।
- ओजोन (O3) – ऑक्सीजन की भांति ही ओजोन गैस की महत्ता वायुमंडल में अत्यधिक है। यह पृथ्वी के सतह से 15 से 50 किलोमीटर की ऊँचाई के बीच पायी जाती है किंतु इसकी सघनता 15 से 35 किलोमीटर के बीच ज्यादा होती है। ओजोन वायुमंडल में एक तरह से सिक्योरिटी गार्ड की तरह है जो सूर्य की पराबैंगनी किरणों को पृथ्वी के सतह पे आने से रोकता है। पराबैंगनी किरणें जीव जगत पे प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। जेट विमानों से निकले धुएँ से वायुमंडल में नाइट्रोजन ऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है जो ओजोन परत का क्षरण करके क्षति पहुंचाती है। साथ ही फ्रिज, AC से निकली क्लोरोफ्लोरो कार्बन भी ओजोन परत को पतली कर रही हैं। इसी समस्या निवारण हेतु साल 1987 में ‘ मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ” की आधारशिला रखी गई।
- जलवाष्प : पृथ्वी के सतह से लगभग 5 किमी. तक समूचे जलवाष्प का 90% भाग पाया जाता है। विषुवत वृत से ध्रुव की तरफ जाने पर जलवाष्प की मात्रा कम होने लगती है। कार्बन डाई ऑक्साइड की तरह ही जलवाष्प भी ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट उत्पन्न करती है। बादल, ओस, ओला इत्यादि के सृजन में जलवाष्प की महत्वपूर्ण भूमिका है। समूचे वायुमंडल में समस्त जलमंडल का लगभग 0.001% भाग जलवाष्प के रूप में सुरक्षित रहता है।
- धूलकण – धूलकण सामान्यतः वायुमंडल के निचले भाग में मौजूद होते हैं। ये राख, धूल,महीन मिट्टी, समुद्री नमक, उल्काओं के टूटे हुए कण से निर्मित होते हैं। ये सामान्यतः आद्रताग्राही की तरह कार्य करते हैं और वर्षा के संघनन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। सूर्य से आने वाली किरणों में प्रकीर्णन इन्हीं धूल कणों द्वारा ही सम्भव हो पाता है जिसके कारण आपको आकाश का रंग नीला लगता है तथा सूर्योदय एवं सूर्यास्त के समय सूर्य की छटा मनमोहक लगती है।
Key Points & Important Facts –
- पृथ्वी का औसत तापमान 15℃ है।
- पृथ्वी के साथ वायुमंडल गुरुत्वाकर्षण बल ले कारण टिका हुआ है।
- कार्बन डाई ऑक्साइड तथा जलवाष्प की मात्रा 90 किमी. की ऊंचाई तक पाई जाती है।
- वायुमंडल का Orijin कैम्ब्रियन युग में माना जाता है।
- वायुमंडल का सामान्य ताप ह्रास दर 6.5℃ /KM होता है।
- वायुमंडल विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण है न कि यौगिक।
- नियोन, हीलियम, क्रिप्टोन एवं जेनान हल्की गैसें हैं।
- नाइट्रोजन, कार्बन डाई ऑक्साइड, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, आर्गन भारी गैसें हैं।
- आकाश का नीला रंग प्रकाश किरणों के प्रकीर्णन के कारण होता है।
- ओजोन परत समताप मंडल में स्थित है।
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बहुत सुंदर जानकारी
बहुत बहुत धन्यवाद बा अपने सब लोग के जे एतना सरल बना देले बानी पढ़ाई के । 🙏🙏🙏