भारत चीन व्यापार संबंध 2020
● भूमिका
जब भी भारत चीन सीमा पर विवाद होता है देश की जनता चीन से आयातित सामानों पर प्रतिबंध (Boycott) लगाने की मांग करने लगती है। हर एक साल दीपावली के वक्त चाइनीज लाइट्स व चायनिज उत्पाद को लेकर सोशल मीडिया में विरोध की एक लहर उठती है जो बिन नतीजे पहुँचे हुए अचानक से शांत हो जाती है। हालांकि केंद्र सरकार ने प्रत्यक्ष रूप से चीन के साथ व्यापार बंद करने या चीनी कम्पनियों के सामान को देश में बेचने पर रोक नहीं लगाई है। किंतु देश की जनता ने इंटरनेट पर चीनी समान की सूची को ढूंढना तथा उसका बहिष्कार करना शुरू कर दिया है । इस तरह भारतीय जनता द्वारा चीन को करारा जवाब देने की व्यापक कयास लगाए जा रहे हैं।
● भारत चीन व्यापार प्रतिबंध की प्रासंगिकता
चीन से व्यापार पर प्रतिबंध लगाने के मुख्य तर्को में से एक चीन के साथ व्यापार घाटे (Trade Deficit) का अधिक होना बताया जाता रहा है। व्यापार घाटा किसी बहु देश की इकोनॉमी के लिए अच्छा नहीं माना जाता है और कहा जाता है कि इससे घरेलू अर्थव्यवस्था कमजोर होती है। वित्तिय वर्ष 2018-19 में भारत का चीन के साथ कुल व्यापार घाटा 53.6 बिलियन डॉलर का था। व्यापार घाटे का सीधा सा अर्थ है कि जितना भारतीय,चीनी सामान खरीद रहे हैं, उसकी तुलना में चीन के लोग भारत से कम सामान खरीद रहे हैं।अर्थात भारत चीन आयात निर्यात डेटा 2020 के हिसाब से भारत चीन से आयात ज्यादा कर रहा है तथा निर्यात कम कर रहा है ।
आगे हम बताते चले कि चीन की तुलना में अन्य देशों जैसे कि अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड के साथ भारत का व्यापार अधिशेष (Trade Surplus) की स्थिति में है। व्यापार अधिशेष का सीधा सा अर्थ है कि भारत इन देशों के साथ जितना आयात करता है उसकी तुलना में कहीं ज्यादा निर्यात करता है।
इस तरह एक जगह कहीं हम व्यापार घाटे की स्थिति में है तो वहीं कई जगह हम व्यापार अधिशेष की भी स्थिति में है।
कुछ विशेषज्ञों द्वारा यह कयास लगाया जा रहा है कि यदि भारत द्वारा चीन से व्यापार प्रतिबंध लगाया जाएगा, तो चीन की अपेक्षा भारत को ही ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है जिसका मुख्य कारण चीनी कम्पनियों द्वारा भारत में किया गया निवेश है। जितना भारत चीन को निर्यात नहीं करता है उससे कहीं ज्यादा आयात के लिए चीन पर निर्भर है।
एक अनुमान यह लगाया जा रहा है कि भारत और चीन के मध्य व्यापार प्रतिबंध और संरक्षणवाद की यह नीति एक नए Trade War को न्योता देगी जिसमें घूम फिर के कुल नुकसान चीन से ज्यादा भारत को होगा।
● भारत चीन व्यापार प्रतिबंध से भारत पर प्रभाव
> भारत के माध्यम और निम्न आय वर्ग पर प्रभाव –
भारत और चीन के मध्य व्यापार प्रतिबंध से सबसे ज्यादा नुकसान मध्यम और निम्नवर्गीय लोगों का होगा। चीन के उत्पाद बाकी अन्य देशों की तुलना में काफी सस्ते जो भारत के बड़ी आबादी को कवर करते हैं। इस प्रकार यह व्यापार प्रतिबंध मिडिल क्लास लोगों की जेब और खाली करेगा।
> भारतीय उत्पादकों व निर्यातकों पर प्रभाव –
देश की कई सारी कम्पनियां कच्चे माल के लिए पूर्णतः चीन से आयात पर निर्भर है। व्यापार प्रतिबंध होने के कारण उन्हें चीन से आयात उत्पादों की पूर्ति बाधित होगी जिसका प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव उनके उत्पादन व निर्यात पर होगा। हालांकि चीन से आयात बंद करने से लोकल व छोटे मोटे व्यापारियों को जरूर लाभ होगा लेकिन व्यापक स्तर पर इसका प्रभाव को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
> फार्मास्युटिकल उद्योग –
भारत जेनरिक दवाओं के कच्चे माल के लिए सबसे ज्यादा चीन पर आश्रित है। चूंकि चीन में ये कच्चे माल बहुत ही सस्ता और आसानी से उपलब्ध हैं। अतः व्यापार प्रतिबंध के कारण भारत के फार्मास्युटिकल उद्योग पर सबसे ज्यादा प्रभाव को देखा जा सकता है जहाँ इस उद्योग का लगभग 90% आयात की निर्भरता चीन से है।
> आयात – निर्यात –
भारत, चीन से जो आयात करता है वह चीन के कुल निर्यात का 3 % ही है। जबकि भारत द्वारा किए जाने वाले कुल निर्यात में चीन का निर्यात 5.32 % है। इस तरीके से हम देखें तो यहां भी व्यापार प्रतिबंध से सबसे ज्यादा घाटा भारत को ही होगा।
> सोलर उद्योग
भारत सौर ऊर्जा से सम्बंधित उपकरणों की 80 % से अधिक की जरूरतों को चीन से आयात के माध्यम से ही पूरा करता है। इन चीनी उपकरणों की लागत अन्य देशों की लागत से बहुत ही कम है। इस प्रकार चीन से व्यापार प्रतिबंध का सीधा प्रभाव भारतीय सोलर उद्योग को पड़ सकता है।
● FDI & EASE OF DOING BUSINESS
इस प्रकार जल्दीबाजी में लिया गया निर्णय FDI एवं इज ऑफ डूइंग बिजनेस को प्रभावित करेगा। वैश्विक स्तर पर भारत की नीतिगत विश्वसनीयता कमजोर होगी और आगे FDI प्राप्त करने में भारत का पक्ष कमजोर प्रतीत होगा। वैश्विक स्तर पर यह गलत सन्देश जा सकता है कि भारत का कोई भरोसा नहीं, कि कब अपने दिए गए वचन को धूल धूसरित कर दे।
● भारत चीन व्यापार संबंध-
भारत के समक्ष उपलब्ध नीतिगत रणनीति-
भारत को चीन से बाहर जाने वाली कम्पनियों को भारत में लाने के सार्थक प्रयास करने होंगे। साथ ही MSME क्षेत्र को गति प्रदान करने की आवश्यकता है जिससे मैन्युफैक्चरिंग हब को त्वरित गति मिल सके। मेक इन इंडिया के तहत आधारभूत ढाँचे में सुधार को बल देना होगा जिससे आत्मनिर्भर भारत व आयात प्रतिस्थापन को नई दिशा मिल सके। भारत को नवीन प्रौद्योगिकी और निवेश में वृद्धि की आवश्यकता है जो भारत के उत्पाद को चीन के साथ विश्व स्तर पर मुकाबला कर सके।
● निष्कर्ष
कहा जाता है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में हर एक देश एक दूसरे पर निर्भर है। ऐसे में भारत-चीन सम्बन्धो से निपटने के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण को कवायद करने की जरूरत है विशेषकर तब जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में कोविड-19 महामारी के कारण गिरावट हो गई है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि वर्तमान में चीनी उत्पादों को प्रतिस्थापित करना मुश्किल और महंगा होगा। फिर भी भारत अवसरंचनात्मक विकास, शिक्षा व कौशल विकास को बढ़ाना देने के साथ यदि क्षमताओं का मजबूत करता है तो इसकी प्रबल संभावना है कि वह भविष्य में चीन के साथ प्रभावी ढंग से निपट सकता है।
QNA
1.भारत चीन से क्या क्या आयात करता है ?
Ans- भारत चीन से मुखयतः सेल फोन,विद्युत मशीनरी, औद्योगिक मशीनरी, दूरसंचार उपकरण, बिजली उपकरण, खिलौने,सोना, मोती, फार्मा सामग्री, फर्नीचर, उर्वरक, वस्त्र, तेल, मोम, प्लाटिक,आदि आयात करता है।
2. भारत चीन को क्या निर्यात करता है?
Ans- भारत चीन को मुख्यतः दवाइयां,तांबा कपास, हीरे, आईटी और इंजीनियरिंग सेवाएं, मांस , सूती धागा,शुगर, टेक्सटाइल्स, , चावल, तथा सब्जियां निर्यात करता है।
3. चीन का सामान सस्ता क्यों है?
Ans-चीन की जनसँख्या दुनिया में सबसे अधिक है। जिसके कारण वहाँ श्रम सस्ता है।श्रम लागत कम होने के कारण चीन की वस्तुओँ का मूल्य कम है।
4.भारत से चीन कितने किलोमीटर है?
Ans- भारत और चीन एक दूसरे के पड़ोसी हैं। इनकी सीमा आपस मे 4057 किलोमीटर तक लगी हुई है। मैकमोहन रेखा को दोनों देशों की सीमाओं का निर्धारक माना जाता है।
5. चीन के राष्ट्रपति कौन है?
Ans- चीन के वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं ।
6. चीन के प्रधानमंत्री कौन है ?
Ans- चीन के वर्तमान प्रधानमंत्री ली कियांग है ।
7. भारत का कौन सा हिस्सा चीन के पास है?
Ans- चीन के द्वारा भारत भूमि के 38 हजार वर्ग किलोमीटर पर अनिधिकृत कब्जा है। जिसमे हिमालयी क्षेत्र अक्साई चीन शामिल है। इसके अतिरिक्त पाकिस्तान 5,180 किलोमीटर भारत की अनिधिकृत भूमि को चीन को अवैध रूप से उपहार में दे रखा है ।
8. भारत और चीन युद्ध कब हुआ?
Ans- भारत और चीन के बीच 20 अक्टूबर 1962 से 21 नवंबर 1962 तक युद्ध लड़ा गया था।जिसे sino-indian war 1962 भी कहा जाता है।
9. भारत और चीन के सैनिक एक दूसरे पर गोली क्यों नही चलाते ?
Ans- 1993 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव का चीन के साथ शांति का एक समझौता हुआ था. इस समझौते के अनुसार दोनों देशों की सेनाएं सीमा पर पेट्रोलिंग के दौरान हथियार का इस्तेमाल नहीं करेंगी.
अन्य GK जानकारी
भारत में अंग्रेजों की भू-राजस्व नीतियां
चम्पारण सत्याग्रह गांधी जी की भूमिका,कारण और प्रभाव
42 वाँ संविधान संशोधन (mini constitution)
आप हमे फेसबुक के THE GKJANKARI पेज पर फॉलो कर सकते हैं | twitter – GKJANKARI