Pits India Act
भूमिका
‘पिट्स इंडिया एक्ट’ सन 1784 में शुरू हुआ तथा यह शुरू के 100 वर्षों का सबसे महत्वपूर्ण अधिनियम था जो कि एक्ट ऑफ़ सेटलमेंट 1781 की असफलता के उपरांत लागू हुआ था। ब्रिटिश प्रधान मंत्री विलियम पिट्ट के अगुवाई में शुरू किये इस एक्ट के कारण ही इसे ‘पिट्स इंडिया एक्ट’ कहा गया। इसे ईस्ट इण्डिया एक्ट 1784 भी कहा जाता है। इस एक्ट का प्रभाव सन 1858 तक रहा।
पिट्स इंडिया एक्ट 1784 की पृष्ठभूमि का कारण क्या था
- 1773 के अधिनियम की सीमाएं।
- ब्रिटिश समाज के विभिन्न वर्गों के द्वारा कम्पनी के नियंत्रण के लिए सरकार पर दबाव।
- कम्पनी अभी भी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही थी।
- 1783 में अमेरिका, ब्रिटिश नियन्त्रण से स्वतंत्र हो चुका था और यह ब्रिटेन का सबसे लाभदायक उपनिवेश था।
- प्रथम मराठा युद्ध तथा द्वितीय मैसूर युद्ध में भी कम्पनी की स्थिति बेहतर नहीं थी।
पिट्स इंडिया एक्ट की विशेषताएँ एवं प्रावधान
- ब्रिटेन में 6 सदस्यीय बोर्ड ऑफ़ कंट्रोल का गठन।
- ब्रिटिश विदेश मंत्री को इसका अध्यक्ष बनाया गया।
- कम्पनी को सरकार के निर्देशों के अनुसार भारतीय प्रशासन का संचालन करना था इसके लिए तीन डायरेक्टरों की एक गुप्त समिति भी बनाई गई।
- Pits India Act 1784 द्वारा कम्पनी के व्यापारिक एवं राजनैतिक कार्यों को एक दुसरे से अलग आकर दिया गया।
- हालाँकि व्यापार एवं नियुक्ति पर अभी भी कम्पनी का एकाधिकार बना रहा।
- भारतीय प्रशासन के संचालन के लिए बंगाल के गवर्नर जनरल के साथ तीन सदस्यीय परिषद का प्रावधान किया गया।
- गवर्नर को निर्णायक मत देने का अधिकार बना रहा।
- आगे से ईस्ट इण्डिया कम्पनी अब भारत में साम्राज्य विस्तार नहीं करेगी।
- भारत में कार्यरत अंग्रेज अधिकारीयों के अवैध कार्यों पर मुकदमा चलने के लियुए ब्रिटेन में एक कोर्ट की स्थापना की गई।
- इसी एक्ट द्वारा कम्पनी के स्टाफों को उपहार या गिफ्ट लेना प्रतिबंधित कर दिया गया।
पिट्स इंडिया एक्ट का निष्कर्ष
पिट्स इंडिया एक्ट ने कंपनी की गतिविधियों और प्रशासन के सम्बन्ध में ब्रिटिश सरकार को सर्वोच्च नियंत्रण शक्ति प्रदान कर दी। और यह ब्रिटेन के काल में पहला समय था जब कंपनी के अधीन क्षेत्रों को ब्रिटेन के अधीन क्षेत्र कहा गया। परिणाम स्वरूप 1784 ई. के एक्ट द्वारा स्थापित सिद्धांतों ने भारत में ब्रिटिश प्रशासन का आधार तैयार किया|
पिट्स इंडिया एक्ट के असफल होने का कारण
कंपनी की शक्तियों और सरकार के अधिकार के बीच की सीमाओं पर कोई स्पष्टता नहीं थी। गवर्नर-जनरल को दो स्वामी यानी कि ईस्ट इंडिया कंपनी और ब्रिटिश क्राउन दोनों की आवोभगत करनी थी। मध्यस्थ की स्थिति होने के कारण गवर्नर-जनरल कभी अपने विचारों में स्पष्ट नहीं रहा। कभी कभी गवर्नर-जनरल को अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए मौके पर ही फैसले लेने पड़ते थे।
पिट्स इंडिया एक्ट 1784 से विभिन्न परीक्षाओं में पूछे गये प्रश्न
- किस अधिनियम द्वारा कम्पनी के व्यापारिक एवं राजनैतिक कार्यों को एक दुसरे से अलग आकर दिया गया – Pits India Act 1784 द्वारा
- कम्पनी के मामलों में पहली बार ब्रिटिश सरकार का नियन्त्रण किस अधिनियम से स्थापित क्र लिया गया – पिट्स इंडिया एक्ट 1784 द्वारा
- कम्पनी के कर्मचारियों पर किस अधिनियम से उपहार या गिफ्ट लेना प्रतिबंधित (BAN) कर दिया गया – पिट्स इंडिया एक्ट 1784 द्वारा
- किस अधिनियम द्वारा गवर्नर जनरल के सदस्यों की संख्या 4 से 3 क्र दी गई जिसमें से एक प्रान्त का मुख्य सेनापति होना अनिवार्य था – पिट्स इंडिया एक्ट 1784 द्वारा
- पिट्स इंडिया एक्ट का नामकरण किसके नाम पर हुआ था – ब्रिटिश प्रधान मंत्री विलियम पिट्ट के नाम पर
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