कोरल ब्लीचिंग चर्चा में क्यों है
जलवायु परिवर्तन, प्रदुषण और समुद्र के बढ़ते तापमान के कारण हो रही कोरल ब्लीचिंग से आस्ट्रेलिया के ग्रेट बैरियर रीफ को काफी नुकसान हो रहा है और ऐसा अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2050 तक यह रीफ पूरी तरह नष्ट हो जाएगी |
पिछले कई सालो से विश्व के प्रयार्वरण विद्वानों ने ऑस्ट्रेलिया की ग्रेट बैरियर रीफ में हो रही कोरल ब्लीचिंग जैव विविधता के लिया काफी चिंताजनक बताया था .
लेकिन खबर यह आ रही है कि ग्रेट बैरियर में कोरल का प्रजनन फिर से देखा जा रहा है और ग्रेट बैरियर रीफ में फिर से रंग बिरंगी चमक दिखाई देने लगी है |
इस पूरी खबर को समझने के लिए हम जानेंगे कि ग्रेट बैरियर रीफ क्या है , कोरल क्या है, कोरल रीफ क्या है , कोरल ब्लीचिंग क्या है और कोरल ब्लीचिंग से जैव विविधता पर प्रभाव कैसे पड़ता है ?
ग्रेट बैरियर रीफ क्या है
ग्रेट बैरियर रीफ आस्ट्रेलिया के क्वीन्सलैंड में प्राकृतिक रूप से बनी दुनिया की सबसे बड़ी प्रवाल भित्ति (कोरल रीफ) है | यह ऑस्ट्रेलिया के क्वीन्सलैंड के उत्तर-पूर्वी तट में मरीन पार्क के समानांतर फैली विश्व की सबसे बड़ी एकल संरचना है ,जो अरबो, खरबों सूक्षम जीवों से मिलकर बना है , इसे अन्तरिक्ष से भी देखा जा सकता है |
प्रवाल भित्तियो की इस दीवार की लम्बाई लगभग 1200 मील है और चौड़ाई 10 मील से 90 मील है | ग्रेट बैरियर रीफ कैल्सियम कार्बोनेट की बनी हुई है | ग्रेट बैरियर रीफ UNESCO की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल है|
प्रवाल क्या है ? प्रवाल IN HINDI.
प्रवाल या कोरल , पॉलिप कहे जाने वाले शूक्ष्म जीव है. ये जीव सैकड़ों और हज़ारों के समूहों में रहते है | प्रवाल के शरीर पर कैल्शियम कार्बोनेट की खोल पायी जाती है, इसके खोल को सेप्टा कहते हैं। प्रवालों की खोल पर एक शैवाल जूक्सैन्थेली (zooxanthellae) का विकास होता है, इन शैवालों के कारण ही प्रवाल रंग-बिरंगे दिखाई देते हैं |इसके बदले में जूक्सैन्थेली भी प्रवालों को पोषक तत्व प्रदान करते है , इस प्रकार प्रवालों एवं जूक्सैन्थेली के मध्य एक सहजीवी संबंध होता है।
कोरल रीफ क्या है ?
कोरल रीफ या प्रवाल भित्ति समुद्र के अंदर स्थित चट्टानें है, जो कैल्सियम कार्बोनेट से बनी होती है |
कोरल रीफ का निर्माण कोरल पॉलिप्स या प्रवालों के कैल्शियम कार्बोनेट से निर्मित, होता है जो इन जीवों के ऊपर हज़ारों वर्षों से जमा हो होती है।
कोरल रीफ हजारो मीलों तक फैली होती है तथा समुद्री जैव विविधता का हॉटस्पॉट मानी जाति है |
कोरल ब्लीचिंग क्या है ? कोरल ब्लीचिंग इन हिंदी
कोरल ब्लीचिंग coral bleaching या प्रवाल विरंजन उस स्थिति को कहते है जब प्रवाल अपने सहजीवी जूक्सैन्थेली (zooxanthellae) का साथ छोड़ देते हैं |
जब जलवायु परिवर्तन, प्रदुषण और समुद्र के बढ़ते तापमान के कारण प्रवालों पर तनाव बढ़ता है तो प्रवाल अपने सहजीवी शैवाल जूक्सैन्थेली (zooxanthellae) को अपने खोल से अलग कर देते हैं | जिसके कारण अब प्रवाल रंग बिरंगे नहीं दिखते अब प्रवाल सफ़ेद दिखने लगते है | प्रवाल या कोरल का अपने सहजीवी शैवाल जूक्सैन्थेली (zooxanthellae) से अलग होने की घटना को ही कोरल ब्लीचिंग या प्रवाल विरंजन कहते हैं |
कोरल ब्लीचिंग से कोरल मरते नहीं है लेकिन इससे कोरल का पोषण अब संकट में आ जाता है और उनके मरने की सम्भावना भी बढ़ जाती है
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कोरल ब्लीचिंग से जैव विविधता पर प्रभाव कैसे पड़ता है ?
कोरल रीफ को समुद्री जैव विविधता का हॉटस्पॉट माना जाता है , क्योंकि 25 प्रतिशत समुद्री जीवन कोरल रीफ पर ही निर्भर करता है | इन कोरल रीफ में मछलियों की तकरीबन 1,500 प्रजातियाँ, 411 तरह के सख्त मूंगे, 134 तरह की प्रजाति की शार्क एवं रेज (खास तरह की मछली) पाई जाती है।
इसके अतिररिक्त यहाँ कछुए और समुद्री स्तनधारी जीव भी निवास करते हैं | करोल रीफ का इस्तेमाल औषधियों में भी होता है।कोरल रीफ के संकट में आने से इन सभी समुद्री जीवों के अस्तित्व पर संकट खड़ा हो जायेगा जो पारिस्थतिकी तंत्र को असंतुलित बना देगा |
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