Central Vista Redevelopment Project

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना (Central Vista Redevelopment Project)

Central Vista Redevelopment Project क्या है ?

राजधानी नई दिल्ली के इंडिया गेट से लेकर राष्ट्रपति भवन तक के क्षेत्र, जिसमें राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, नार्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक, इंडिया गेट और अन्य राष्ट्रीय अभिलेखागार स्थित है , उसे सेंट्रल विस्टा (Central Vista)कहा जाता है।नए संसद भवन का कायाकल्प वर्ष 2022 तक बनकर पूर्ण रूप से तैयार हो जायेगा जिसे बनाने का कार्य टाटा कंस्ट्रक्शन कम्पनी करेगी।

इन भवनों का निर्माण सन 1911 में एडविन लुटियंस (Edwin Lutyens) व हर्बर्ट बेकर (Herbert Baker) ने करवाया था। प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भारत सरकार के महत्वपूर्ण कार्य सम्पादन व संचालन के फलस्वरूप ही इसे भारत का पॉवर कॉरीडोर (Power Corridor) भी कहा जाता है।

‘सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना’ में राजपथ के Central Vista क्षेत्र का पुनर्विकास निहित है तथा इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत नए संसद भवन, नए केन्द्रीय सचिवालय, नए प्रधानमंत्री कार्यालय, प्रधानमंत्री आवास, उपराष्ट्रपति आवास के साथ साथ अन्य नए भवनों का निर्माण कार्य होना है। इस प्रोजेक्ट की लागत तक़रीबन 20 हजार करोड़ है |

सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना क्यों ज़रूरी है?

  • राजधानी के राजपथ पर वर्त्तमान में उपस्थित संसद भवन, नार्थ ब्लाक, साउथ ब्लाक जैसे अन्य महत्वपूर्ण भवन 100 साल पुराने हो चुके हैं  जिसे नवनिर्माण करने की पुनः आवश्यकता है।
  • भारत की जनसँख्या बढ़ने के साथ समय-समय पर जनसंख्या के आधार पर जनता के प्रतिनिधियों अर्थात लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की संख्या को बढ़ाने की माँग की जाती रही है।लिहाजा संसद भवन में बढ़ते प्रतिनिधियों जी प्रयाप्त संख्या को देखते हुए पर्याप्त जगह की आवश्यकता होगी।
  • सर्वविदित है कि नये मंत्रालयों के लिए पुराने भवनों में पर्याप्त जगह की कमी है जिससे इन मंत्रालयों के कार्यालय राजपथ पर न होकर दिल्ली में अलग अलग स्थानों पर है | जाहिर है कि ये सभी कार्यालय सरकारी भवनों का हिस्सा न होकर किसी निजी भवन के अग्रीमेंट पर निर्भर है, जिसके लिए भारत सरकार को हर साल इन निजी भवनों पर किराये के रूप में लगभग 1000 करोड़ अलग मद से खर्च करना पड़ता है।

महत्वपूर्ण बिंदु  –

● Central Vista पुनर्विकास परियोजना के अंतर्गत बन रहे नए संसद भवन का आकार संरचना में त्रिकोणीय होगा।

●नए संसद भवन में राज्यसभा और लोकसभा के दो अलग अलग अलग भवन बनाए जायेंगे जिसमें लोकसभा के सदस्यों के बैठने की क्षमता 900 तक होगी और राज्यसभा के सदस्यों के बैठने की क्षमता 400 तक होगी।

● समूल कार्य निष्पादन हेतु एक केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाएगा जिसमें 10 अलग अलग भवन बनाए जाएंगे तथा भारत सरकार के सभी मंत्रालयों को केन्द्रीय सचिवालय में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

● कोई भी भवन की ऊँचाई ‘इंडिया गेट’ की ऊंचाई से ज्यादा नहीं होगी एवं सभी भवनों को भूमिगत रास्तों के द्वारा कनेक्ट कर दिया जायेगा।

● साउथ ब्लाक के पीछे प्रधानमंत्री का नया कार्यालय (PMO) बनाया जायेगा तथा साथ में प्रधानमंत्री आवास का निर्माण भी किया जाएगा।

● नार्थ ब्लाक के पीछे उपराष्ट्रपति का आवास बनाया जायेगा।

●नार्थ ब्लाक, साउथ ब्लाक एवं पुरानी संसद भवन को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया जायेगा जो भावी पीढ़ी हेतु एक धरोहर का कार्य करेगी।

आलोचनाएँ –

कोरोना महामारी की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था पर व्यापक नकारात्मक प्रभाव पड़ा है | ऐसे में 20,000 करोड़ की धनराशी नए भवनों और संग्रहालयो पर खर्च करना वर्तमान परिस्थितियों में उपयुक्त नहीं है।

राजधानी में बढ़ते स्मॉग व वायु प्रदूषण के मद्देनजर रखते हुए पहले से कई अन्य प्रदूषणों की अधिकता है जिसे जमीनी स्तर पर निपटारा अभी बाकी है। ऐसे में इतने बड़े पैमाने पर भवन निर्माण से समूचे राजधानी क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण बढ़ने की अपार संभावना है। इससे न सिर्फ राजधानी प्रदूषित होगी अपितु वैश्विक स्तर के सूचकांकों पर भारत की छवि और धूमिल होगी।

अन्य GK जानकारियां 

 आप हमे फेसबुक के THE GKJANKARI पेज पर फॉलो कर सकते हैं | ट्विटर – GKJANKARI

 

Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
HAPPY BIRTHDAY प्रियदर्शिनी GK FACT – National Unity Day क्यों मनाया जाता है ऋषि सुनक का जीवन परिचय सूर्य ग्रहण क्यों होता है Abdul Kalam Quotes